सरकार ने सीबीआई में सफाई अभियान जारी रखते हुए गुरुवार को सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को उनके पद से हटाकर सिविल एविएशन सिक्योरिटी ब्यूरो भेज दिया। उनके साथ ही ज्वॉइंट डायरेक्टर ए. के. शर्मा, डीआईजी एम. के. सिन्हा और जयंत नायकनवारे का कार्यकाल भी घटा दिया गया। इससे पहले सरकार ने आलोक वर्मा को सीबीआई के डायरेक्टर पद से हटा दिया था और फायर सेफ्टी विभाग में भेज दिया था। वर्मा ने बाद में अपनी सेवा से इस्तीफा दे दिया।
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक कमिटी ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटा दिया था। इससे पहले 11 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने राकेश अस्थाना को राहत नहीं दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि उनके खिलाफ जांच जारी रहेगी। हाई कोर्ट ने 10 हफ्ते में जांच पूरा करने का आदेश दिया है। अस्थाना ने हाई कोर्ट से एफआईआर हटाने की मांग की थी। राकेश अस्थाना ने गिरफ्तारी से बचने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा था।
क्या है पूरा मामला
सीबीआई ने मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ एक मामले को रफा-दफा करने के लिए 2 करोड़ रुपए रिश्वत लेने के आरोप में अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किया। इसके बाद अस्थाना ने कई मामलों में अपने अधिकारी आलोक वर्मा के खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाए। मामला धीरे-धीरे सियासी बनता चला गया और विपक्षी दलों ने इसका ठीकरा सीधा प्रधानमंत्री मोदी पर फोड़ा। मामला कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने काफी अहम फैसला सुनाया जिसमें आलोक वर्मा अपने पद पर पुनः बहाल हुए लेकिन सेलेक्ट कमेटी ने उन्हें हटा दिया।
वर्मा के हटते ही सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक एम। नागेश्वर राव को फिर से डायरेक्टर का कार्यभार मिल गया। राव 1986 बैच के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। अस्थाना और वर्मा ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, जिससे सीबीआई की साख पर सवाल उठे हैं। विवादों के बाद केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था। इसके साथ ही राव को अंतरिम निदेशक बनाया गया था। अभी हाल में आलोक वर्मा को डायरेक्टर पद पर बहाल करने के 48 घंटे के भीतर ही उन्हें पद से हटाकर राव को पदभार दिया गया।