सामरिक क्षेत्र में भारत ने एक और बड़ी ताक़त हासिल कर ली है। रूस के साथ भारत ने एस-400 मिसाइल की डील फाइनल कर ली है। भारत दौरे पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पीएम नरेंद्र मोदी ने इस डील पर औपचारिक मुहर लगा दी। 5 बिलयन डॉलर की इस डील के अलावा पीएम मोदी और पुतिन ने 8 संधियों पर हस्ताक्षर किए। इनमें सबसे ख़ास है भारत का गगनयान मिशन है, जिसे रूस के सहयोग से भारत अंतरीक्ष में मानव को भेजेगा। सबसे ख़ास बात यह है कि यह समझौते अमेरिका की धमकी के बावजूद पूरे हो रहे हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को ही द्विपक्षीय संधि के लिए भारत पहुंच गए। इसके बाद शुक्रवार को पीएम मोदी के साथ औपचारिक बैठक की और संधियों पर मुहर लगायी। दोनों देशों के प्रमुखों ने अपना संयुक्त वक्तव्य भी दिया। भारत और रूस रक्षा, स्पेस, इकॉनमी और परमाणु ऊर्जा में एक दूसरे का सहयोग करेंगे।
दुश्मन में एक साथ 36 छेद कर देगा 'एस-400'
एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को दुनाया में सबसे अडवांस माना जाता है। भारत इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की 5 रेजिमेंट्स खरीद रहा है। इसकी खासियत है कि इसमें लगे राडार सिस्टम 400 किलोमीटर के दायरे में आने वाले एयरक्राफ्ट, मिसाइल या ड्रोन को चिन्हित कर उन्हें हवा में ही मार गिराएंगे। मसलन, अगर युद्ध के वक्त दुश्मन देश हमारे ऊपर कोई बैलिस्टिक मिसाइल भी दागता है तो हम उसे हवा में नेस्त-नाबूत कर देंगे।
इस मिसाइल सिस्टम को अल्माज-आंते ने तैयार किया है, जो रूस में 2007 के बाद से ही सेवा में है। यह एक ही राउंड में 36 वार करने में सक्षम है।
भारत के लिए यह जरूरी क्यों?
एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की भारत को काफी जरूरत है। दरअसल, चीन इस जबरदस्त हथियार को रूस से खरीद चुका है। ऐसे में पड़ोसी देशों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए भारत को यह हथियार हांसिल करना बेहद जरूर है। वह भी तब जब चीन और पाकिस्तान दोनों एक साथ कई मसौदों पर काम कर रहे हैं।
सामरिक सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए यह डील दुश्मनों को उनके घरों में दुबके रहने के लिए मजबूर करेगी। खासकर चीन के लिए। क्योंकि, पाकिस्तान की बजाय देश के लिए चीन की बढ़ती सामरिक शक्तियां हमारे लिए चुनौती हैं।
अमेरिका की धमकी का क्या?
भारत के लिए रूस के साथ इस संधि के बाद अमेरिका को मनाना एक बड़ी चुनौती है। अमेरिका ने डील के बाद भारत पर प्रतिबंध लगाने तक की धमकी दिया है। ऐसे में हमारे कूटनीतिज्ञों के सामने बड़ा चैलेंज है। हालांकि, भारत ने अंरराष्ट्रीय पटल पर इस डील के जरिए एक संदेश तो दिया है कि हम एक स्वायत्त और संप्रभु राष्ट्र हैं। स्वायत्त देश किसी दूसरे देश की धमकी से नहीं डरता बल्कि अपने देशहित के लिए संधि और कारोबार आगे बढ़ाता है।
गौरतलब है कि अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय जगत में जिस तरह की दारोगागिरी झाड़ रहा है उससे आर्थिक संकट ज्यादा फैला है। भारत समेत कई देशों को ईरान से व्यापार संबंधो को लेकर आर्थिक प्रतिबंध कई देशों के लिए नुकसान का सबक बन रहे हैं। अब भारत को ही ले लें, तो पेट्रोलियम की खरीददारी ईरान से भारत के लिए सस्ती पड़ती है। लेकिन, प्रतिबंध के बाद भारत ईरान से तेल नहीं खरीद पा रहा है और उल्टा उसे महंगे रेट पर बाकी देशों से तेल खरीदना पड़ रहा है।
वैसे भारत के कूटनीतिज्ञ अमेरिका के साथ संभवत: दूसरे मसौदों पर ज्यादा फोकस बनाने की कोशिश करेंगे। जिसमें 2 प्लस2 का फॉर्मूला सबसे अहम है। इस बैठक का हाल के दिनों में असर भी बाखूबी देखा गया है।