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इन टॉप-10 महिलाओं की क्रांति से अंग्रेस दहल उठे थे…

<div class=”bnews_extra breakingnews_new” id=”breakingnews2015″>
<div class=”clr ins_lftcont640″ id=”newsDescriptionContainer”>आज भारत अपना 72वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस मौके पर समाचार फर्स्ट आपको बता रहा है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जहां पुरुषों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, तो महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। हर सदी में महिलाएं देश सेवा के लिए आगे आई हैं और आती रहेंगी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जिन महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया उनमें कुछ ही महिलाएं शामिल थी। जिस प्रकार से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने का मौका इन महिलाओं को मिला, अगर उसी प्रकार का मौका आज की पीढ़ी की महिलाओं को मिलें तो देश सेवा के लिए लाखों महिलाएं खड़ी हो जाएंगी।</div>
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<p style=”text-align:justify”>आइए जानते है भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाली उन 10 महिलाओं के बारे में जिनसे अंग्रेज भी खौफ खाते थे।&nbsp; &nbsp;<br />
&nbsp;</p>

<p style=”text-align:justify”>1. <strong><span style=”color:#e74c3c”>झांसी की रानी लक्ष्मी बाई</span></strong></p>

<p style=”text-align:justify”>झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की शहादत को कौन नहीं जानता। रानी लक्ष्मी बाई हमारी अनंत पीढ़ियों तक वीरता का प्रतीक रहेंगी। रानी लक्ष्मी बाई ने ने 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेजों को धूल चटा दी थी।</p>

<p style=”text-align:justify”>2. <strong><span style=”color:#e74c3c”>झलकारी देवी</span></strong></p>

<p style=”text-align:justify”>वीरांगना झलकारी देवी घुड़सवारी और अस्त्र-शस्त्र चलाने में निपुण थी। रानी लक्ष्मी बाई के वेश में अंग्रजों के साथ युद्ध करते हुए झलकारी बाई ने शहादत दे दी।</p>

<p style=”text-align:justify”>3. <strong><span style=”color:#e74c3c”>लक्ष्मी सहगल</span></strong></p>

<p style=”text-align:justify”>लक्ष्मी सहगल भारत की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहीं। वो आजाद हिन्द फौज की अधिकारी तथा आजाद हिन्द सरकार में महिला मामलों की मंत्री थीं।</p>

<p style=”text-align:justify”>4.<strong><span style=”color:#e74c3c”> कनकलता बरुआ</span></strong></p>

<p style=”text-align:justify”>कनकलता बरुआ असम की रहने वाली थीं। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। भारत छोड़ो आंदोलन के समय उन्होंने महज 17 साल की उम्र में कोर्ट परिसर और पुलिस स्टेशन के भवन पर भारत का तिरंगा फहराया था। लेकिन उस दौरान वो पुलिस की गोलियों का शिकार बन गईं और शहीद हो गईं।</p>

<p style=”text-align:justify”>5.<strong><span style=”color:#e74c3c”> दुर्गा भाभी</span></strong></p>

<p style=”text-align:justify”>दुर्गा भाभी नाम से मशहूर दुर्गा देवी बोहरा ने भगत सिंह को लाहौर जिले से छुड़ाने का प्रयास किया। सन् 1927 में लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिये लाहौर में बुलाई गई बैठक की अध्यक्षता दुर्गा भाभी ने की। यहाँ तक की उन्होंने तत्कालीन टेलर नामक एक अंग्रेज अफसर पर गोली भी चलायी थी।</p>

<p style=”text-align:justify”>6. <strong><span style=”color:#e74c3c”>विजय लक्ष्मी पंडित</span></strong></p>

<p style=”text-align:justify”>देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित ने अंग्रेजों का डटकर सामना किया। विजय लक्ष्मी पंडित ने असहयोग आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। विजय लक्ष्मी पंडित लगातार आजादी की अलख जगाती रहीं और देश की आजादी के बाद कई महत्वपूर्ण पदों को संभाला।</p>

<p style=”text-align:justify”>7. <strong><span style=”color:#e74c3c”>सरोजिनी नायडू</span></strong></p>

<p style=”text-align:justify”>सरोजिनी नायडू &lsquo;द नाइटिंगल ऑफ इंडिया&rsquo; सरोजिनी नायडू न सिर्फ कवियित्री थीं, बल्कि अनन्य स्वतंत्रता सेनानी भी थी।</p>

<p style=”text-align:justify”>8. <strong><span style=”color:#e74c3c”>रानी चेनम्मा</span></strong></p>

<p style=”text-align:justify”>कित्तूर की रानी चेनम्मा रानी लक्ष्मी बाई से भी पहले कित्तूर की रानी चेनम्मा ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था। वो बिना डरे अंग्रेजो का डटकर सामना करती थीं</p>

<p style=”text-align:justify”>9. <strong><span style=”color:#e74c3c”>बेगम हजरत महल</span></strong></p>

<p style=”text-align:justify”>बेगम हजरत महल अवध की बेगम हजरत महल ने 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेजों से टक्कर की लड़ाई लड़ी थी जिसमे वो कई बार घायल भी हुईं थी।</p>

<p style=”text-align:justify”>10. <span style=”color:#e74c3c”><strong>सुचेता कृपलानी</strong></span></p>

<p style=”text-align:justify”>सुचेता कृपलानी ने बिना हथियार के ही अंग्रेजों को जीवन भर परेशान करके रखा। सुचेता कृपलानी हर समय महात्मा गांधी के साथ रही। भारत छोड़ो आंदोलन के समय जेल भी गई, तो कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष होने का तमगा भी उन्हीं के पास है।</p>

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