21वीं सदी का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण शुक्रवार की रात को पूरा हुआ। बीती रात दुनिया ने सफेद चांद को लाल होते देखा। रात 11 बजकर 54 मिनट से शुरू हुआ पूर्ण चंद्रग्रहण सुबह 3 बजकर 49 मिनट तक रहा। अब चंद्र ग्रहण समाप्त हो चुका है। रात 11 बजकर 54 मिनट के बाद चांद ने धीरे-धीरे अपना रंग बदलना शुरू कर दिया। एक वक्त चांद का रंग लाल रंग में बदल गया। जब चांद लाल हो जाता है तो इसे ब्लड मून कहा जाता है। शुरू में ये आंशिक था, लेकिन वक्त गुजरने के साथ-साथ ये पूर्ण चंद्रग्रहण में बदल गया। हिमाचल और अन्य राज्य के लोग बादल होने की वजह से ब्लड मून का नजारा नहीं देख सके।
चंद्रग्रहण को देखने के लिए दुनिया भर में लोग घरों से बाहर निकले। कई देशों में इसे देखने के लिए काफी इंतजाम भी किया। दुनिया भर के लिए भले ही ये घटना ब्रह्मांड की एक प्रक्रिया से जुड़ी हो लेकिन भारत में इसे एक आस्था के विषय के तौर पर ही देखा गया। दुनिया भर में चंद्रग्रहण का नज़ारा कुछ इस प्रकार दिखा।
नासा के मुताबिक ये 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण है। इसके बाद 9 जून 2123 को ऐसा चंद्रग्रहण नजर आएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चंद्रगहण बहुत ही खास है क्यूंकि ऐसा कभी कभार ही जिंदगी में देखने को मिलता है। इसे 'ब्लड मून' चंद्रग्रहण कहा गया है।
किसे कहते हैं चंद्र ग्रहण?
बता दें कि चंद्रमा और सूर्य के बीच में पृथ्वी के आ जाने को ही चंद्र ग्रहण कहते है। चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी इस प्रकार आ जाती है कि पृथ्वी की छाया से चंद्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है। इस स्थिति में पृथ्वी सूर्य की किरणों के चंद्रमा तक पहुंचने में अवरोध लगा देती है तो पृथ्वी के उस हिस्से में चंद्र ग्रहण नजर आता है।
चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है
चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है। इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना। यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता। उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है। यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी सच है।
सूर्यग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन होते हैं क्योंकि चंद्रमा का आकार पृथ्वी के आकार के मुकाबले लगभग 4 गुना कम है। इसकी छाया पृथ्वी पर छोटी आकार की पड़ती है इसीलिए पूर्णता की स्थिति में सूर्य ग्रहण पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से से ही देखा जा सकता है। लेकिन चंद्र ग्रहण की स्थिति में धरती की छाया चंद्रमा के मुकाबले काफी बड़ी होती है। लिहाजा इससे गुजरने में चंद्रमा को ज्यादा वक्त लगता है।