मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर जनसंघ के नेता दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखने को लेकर राज्यसभा में खूब हंगामा। योगी सरकार के फैसले को गृह मंत्रालय से हरी झंडी मिलने से भड़के समाजवादी पार्टी के सांसदों ने इसका जमकर किया।
सरकारी नियमों के मुताबिक किसी भी स्टेशन, गांव, शहर का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार को गृहमंत्रालय से एनओसी लेना जरूरी होता है। दरअसल, बीजेपी इस साल पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष मना रही है। योगी सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में मुगलसराय के मुख्य मार्ग का नाम दीनदयाल के नाम पर करने, प्रमुख चौराहे पर उनकी प्रतिमा लगाने और उसका नाम दीनदयाल चौक करने का भी निर्णय लिया था।
गौरतलब है कि 1968 में दीनदयाल उपाध्याय का शव संदिग्ध हालत में मुगलसराय स्टेशन पर मिला था। सर संघचालक गोलवरकर और अटल बिहारी वाजपेयी मुगलसराय आए और दीनदयाल उपाध्याय के पार्थिव शरीर को लेकर दिल्ली गए, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि मुगलसराय लाल बहादुर शास्त्री की जन्मस्थली है, इसलिए इसका नाम उन पर होना चाहिए।