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आखिर क्यों मनाई जाती है दिवाली? जानिए इस पर्व का महत्व….

समाचार फर्स्ट डेस्क |

 यह बात तो सभी को मालूम है कि, दीपावली का त्योहार क्यों मनाया जाता है भगवान राम जब असुरराज रावण को मारकर अयोध्या नगरी वापस आए तब नगरवासियों ने अयोध्या को साफ-सुथरा करके रात को दीपकों की ज्योति से दुल्हन की तरह जगमगा दिया था। तब से आज तक यह परंपरा रही है कि, कार्तिक अमावस्या के गहन अंधकार को दूर करने के लिए रोशनी के दीप प्रज्वलित किए जाते हैं।
 
लेकिन दीपावली मनाने के पीछे एक प्रसिद्ध कथा यह भी है कि- एक बार राजा से ज्योतिषी ने कहा कि, कार्तिक की अमावस्या की आधी रात को तुम्हारा अभाग्य एक सांप के रूप में आएगा। यह सुनकर राजा ने अपनी प्रजा को आज्ञा दी कि, वे अपने घरों को अच्छी तरह से साफ करें और सारा शहर रात भर रोशनी से प्रकाशित किया जाए।
 
रानी सर्प देवता का गुणगान करती व जागती रही। लेकिन दुर्भाग्य की घड़ी में राजा के बिस्तर के पास जलता हुआ दीप अनायास बुझ गया और सांप ने राजा को डस लिया, परंतु सर्प देवता रानी की स्वर लहरी को सुनकर अत्यंत खुश हुआ और रानी को एक वर मांगने को कहा, रानी ने इस वर से अपने पति का जीवनदान मांगा।
 
सर्प देवता राजा के प्राण वापस लाने के लिए यम के पास गया। राजा का जीवनमंत्र पढ़ा गया तो शून्य नंबर दिखाई दिया। जिसका तात्पर्य हुआ कि राजा पृथ्वी पर अपना जीवन समाप्त कर चुका है। लेकिन सांप ने बड़ी चतुराई से आगे सात नंबर डाल दिया। जब यम ने पत्र देखा तो कहा, लगता है कि मृत शरीर को अपने जीवन के 70 साल और देखना है। जल्दी से इसे वापस ले जाओ। सो सांप राजा की आत्मा को वापस ले आया। राजा के प्राण वापस आने पर बस उसी दिन से दीपावली का पर्व राजा के पुनर्जीवित होने की खुशी में मनाया जाता है।
 
दक्षिण भारत को छोड़कर पूरे भारत में इस कार्तिक अमावस्या तक वर्षा समाप्त हो जाती है। हो सकता है पूर्वजों ने वर्षा से सीले हुए मकानों की पुताई, रंगाई करके फिर से सजाने के लिए यह उत्सव मनाना शुरू किया हो। इस दिन नवांकुरित गेंहू या ज्वार की पूजा की जाती है।