आरक्षण को लेकर राजस्थान होईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि राजस्थान में शादी के बाद दूसरे राज्यों से आने वाली महिलाओं को नौकरी में आरक्षण नहीं मिलेगा। कोर्ट के फैसले के मुताबिक अब राजस्थान में शादी के बंधन में बंधकर दूसरे राज्यों से यहां आने वाली महिलाओं को एससी, एसटी और ओबीसी के आधार पर नौकरी में आरक्षण नहीं दिया जाएगा। हालांकि नौकरी में आरक्षण के अलावा उन महिलाओं को अन्य सुविधाओं को लाभ जरूर मिलेगा।
दरअसल राजस्थान के नोहर में रहने वाली सुनीता रानी ने आरक्षण से जुड़ी याचिका कोर्ट में दायर की थी। इसमें उन्होंने बताया कि वह पंजाब की रहने वाली हैं और राजस्थान के नोहर में रहने वाले व्यक्ति से उनकी शादी हुई है। उन्होंने एससी जाति प्रमाण पत्र ते लिए नोहर तहसील में आवेदन किया था। लेकिन उनका आवेदन तहसीलदार ने खारीज कर दिया। इसके पीछे हवाला दिया गया कि वे राजस्थान की मूल निवासी नहीं हैं। इसके बाद महिला ने तहसीलदार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
न्यायाधीश दिनेश मेहता ने राजस्थान हाई कोर्ट के साल 2018 और 2020 के केस का उदाहरण दिया। इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि शादी के बाद कोई महिला राजस्थान में नौकरी में आरक्षण की हकदार नहीं हो सकती। ऐसी महिलाएं जाति प्रमाण पत्र की हकदार हैं। ताकि उन्हें जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी के अलावा राज्य सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ मिल सके। न्यायाधीश मेहता ने हनुमानगढ़ के एसडीएम को इस महिला को जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि इस पर लिखा जाए कि यह सरकारी नौकरी के लिए मान्य नहीं होगा।
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