प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर सिरमौर जिले में सियासत एक बार फिर उफान पर आ गई है। अब देखना ये होगा कि विस चुनाव में कौन पार्टी बाजी मारती है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। सिरमौर एक ऐसा जिला जिसने हिमाचल को पहला मुख्यमंत्री दिया। डॉ यशवंत सिंह परमार जब तक सीएम रहे उनकी विकासशील सोच ने प्रदेश भर में एक समान विकास किया। लेकिन, उसके बाद हिमाचल के अन्य जिलों का तो विकास हुआ लेकिन सिरमौर पिछड़ता चला गया।
आज भी सिरमौर जिला विकास के अलावा सामाजिक दृष्टि से पिछड़ा माना जाता है, नतीज़तन सिरमौर जिला आज भी कई समस्याओं से जूझ रहा है। सिरमौर जिला में विधानसभा की 5 सीटें है। जहां से 3 सीट अनारक्षित और 2 विधानसभा सीट आरक्षित है। नाहन सीट पर बीजेपी के राजीव बिन्दल है, शिलाई से भाजपा के बलदेव तोमर, पच्छाद से बीजेपी सुरेश कुमार, श्री रेणुकाजी से सीपीएस विनय कुमार कांग्रेस से जीतकर आए है, जबकि पाबंटा साहिब से निर्दलीय करनेश जंग चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं।
पांबटा साहिब से बीजेपी के सुखराम चौधरी को करनेश जंग ने हराया था जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार ओंकार सिंह की यहां से जमानत जब्त हो गई थी। 2012 चुनावों से पहले सिरमौर जिला कांग्रेस का अभेद गढ़ माना जाता रहा। लेकिन विकास में पिछड़े सिरमौर के कांग्रेसी विधायकों को जनता ने ऐसा सबक सिखाया की अब ये नेता अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहे है।
सिरमौर के पच्छाद से लगातार जीतते रहे और विधामसभा अध्यक्ष रहे गंगू राम मुसाफ़िर भी पिछली मर्तबा बीजेपी से चुनाव हार गए। ऐसा ही हाल शिलाई विधानसभा क्षेत्र का रहा जहां से लगातार तीन बार कांग्रेस के विधायक रहे हर्षवर्धन चौहान को भी मतदाताओं ने घर बिठा दिया।वहीं, रही सही कसर नाहन में डॉ राजीव बिन्दल ने निकाल दी जिन्होंने सोलन विधानसभा क्षेत्र के आरक्षित होने के बाद नाहन का रुख किया और कांग्रेस के प्रत्याशी को दस हज़ार वोटों से शिकस्त दी।
सीपीएस विनय कुमार ने श्री रेणुका जी की एकमात्र सीट जीतकर कांग्रेस की नाक बचाई। अब चुनाव फिर से सिर पर है देखना यही है कि सिरमौर के मतदाता अपने क्षेत्र के विकास को आगे ले जाने के लिए किस पार्टी के साथ जाते है।