इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायनों में अलग नज़र आ रहा है। नेता असल मुद्दों से दूर है जनता खामोश है। सभी दलों के नेता एक दूसरे को गाली देने में लगे हैं। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष असल मुद्दों से भटक कर जनता का ध्यान भी भटका रहे हैं। देश मे बेरोजगारी सबसे बड़ा मुददा है लेकिन न तो सत्ता पक्ष इसकी बात कर रहा है न तो विपक्ष के नेता इस पर कुछ बोल रहे है। पेट्रोल डीजल व रसोई गैस की कीमतें आसमान छू रही है। किसी दल को इससे कोई सरोकार नहीं है।
देश की आर्थिक स्थित, रक्षा नीति और मंहगाई जैसे मुद्दे गौण हो गए हैं। बीजेपी और पीएम कांग्रेस को कोस रहे हैं तो विपक्ष पीएम मोदी पर तीखे हमले कर रहा है। यहां तक कि नेता एक दूसरे को गाली देने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। बीजेपी मोदी के नाम पर वोट मांग रही है तो विपक्ष मोदी को गाली देकर वोट मांग रहा है।
पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में भी ऐसी ही स्थिति है। नेता एक दूसरे को कोसने में लगे हुए है लेकिन प्रदेश के असल मुद्दों पर कोई बात नही हो रही है। एम्स का क्या हुआ, केंद्रीय विश्वविद्यालय आज तक लटका पड़ा है, दर्जन भर मेडिकल खुल गए मरीज इलाज़ के लिए बाहरी राज्यों में जा रहे है, एनएच की क्या स्थिति है, दो स्मार्ट सिटी धर्मशाला और शिमला का काम कहां पहुंचा, सांसदों के आदर्श गांव का क्या हुआ?…कहीं कोई जिक्र नही प्रदेश की किसी को फिक्र नहीं।
पीएम मोदी ने सेब के आयात पर ड्यूटी बढ़ाने की बात कही थी उसका कुछ नही हुआ। रिज मैदान से सेब के रस को कोल्ड्रिंक में मिलाने का भरोसा दिया था उसका क्या हुआ कोई मुद्दा नही। नेता हेलिकॉप्टरों में जाकर एक दूसरे के ख़िलाफ़ बोलकर जनता को भरमाने में लगे हुए है। पहले बीजेपी नेता हवा में उड़कर प्रचार कर रहे थे अब तो कांग्रेस के नेता भी उड़नखटोले में प्रचार कर रहे हैx। अब हवा में उड़ने वाले नेताओं को ज़मीन से जुड़े मुद्दों का भला क्या ख़बर होगी।