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10 दिन तक चला हिमाचल विधानसभा का मॉनसून सत्र खट्टे मिठ्ठे अनुभवों के साथ हुआ समाप्त

पी. चंद शिमला |

विधानसभा मॉनसून सत्र आज खट्टे मिठ्ठे अनुभवों के साथ आज ख़त्म हो गया। सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सदन में पहली बार नियम 67 के तहत चर्चा हुई है। कोविड- 19 के चलते जो भी बंदिशें थी उनको ख़त्म कर दिया है। नए 3 मंत्री बनाए गए पहले मांत्रियों को लेकर भी सवाल उठाता था। संकट के इस दौर में जनता को भी थोड़ा सहयोग करना चाहिए। कठिन परिस्थितियों में हिमाचल की जनता ने सहयोग किया भी है। संकट से उभरने के लिए कुछ कठिन निर्णय भी सरकार ने लिए हैं जब हालात सामान्य हो जाएंगे तो जनता को राहत दी जाएगी। विधायक निधि बहाल करने वाला हिमाचल पहला राज्य है। कारोना का संकट अभी ख़त्म नहीं हुआ है इसलिए एतिहात बरतने की जरूरत है। जिसमें चुने हुए जनप्रतिनिधियों को आगे आकर जनता को जागरूक करना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सत्र की समाप्ति पर कहा कि सरकार के साथ विपक्ष की जिम्मेदारी भी लोगों की समस्याओं को सदन में उठाना है। वाकआउट भी एक विरोध करने का लोकतांत्रिक तरीका है। सरकार ये न सोचें कि वाकआउट करके विपक्ष सदन की कार्यवाही नहीं सुनता देखता है। विपक्ष की नज़र हर तरफ रहती है। विपक्ष ने प्रश्नकाल से लेकर विभिन्न चर्चाओं में भाग लिया। नए मांत्रियों ने भी सदन में सवालों के अच्छे जबाब दिए हैं। हो सकता है कि विपक्ष की कोई बात सत्ता पक्ष को बुरी लगी हो लेकिन जनता के प्रहरी होने के नाते मुद्दे उठाना जरूरी था। कारोना के चलते अब हिमाचल खोल दिया है ऐसे में मामले बढ़ेंगे इसलिए सरकार को सतर्क रहने की ज़रूरत है। कारोना के संकट में सरकार विपक्ष, डॉक्टरों के साथ जनता की भी सलाह लें।

उधर, विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने अंत मे कहा कि ये मॉनसून सत्र कारोना काल की विपरीत परिस्थितियों में हुआ है। जो हमेशा याद रखा जाएगा। 25 बैठके इस साल की पूरी हो गई हैं। सदन में प्रश्नकाल के दौरान तारांकित 434 सवाल पूछे गए जबकि 223 आंतरांकित सवाल पूछे गए। नियम 61 के तहत 5 जबकि  62 नियम के तहत 10 चर्चाएं हुई ह। 6 घण्टे 25 मिनट तक नियम 67 स्थगन प्रस्ताव के तहत पहली बार चर्चा हुई है। 12 विधेयक पारित किए गए। नियम 124 के तहत 9 प्रस्ताव लाए गए। इसी के साथ राष्ट्रीय गान के साथ सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी।