टिकट कटने के बाद आडवाणी बोले, मेरे लिए पहले देश, फिर पार्टी और फिर मैं

<p>बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लाल कृष्ण आडवाणी ने ब्लॉग लिखा है। उन्होंने लिखा, &#39;6 अप्रैल को बीजेपी अपना स्थापना दिवस मनाएगी। बीजेपी में हम सभी के लिए यह महत्वपूर्ण अवसर है कि हम पीछे देखें, आगे देखें और भीतर देखें। बीजेपी के संस्थापकों में से एक के रूप में मैंने भारत के लोगों के साथ अपने अनुभवों को साझा करना अपना कर्तव्य समझा है। खासतौर पर मेरी पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं के साथ। दोनों ने मुझे बहुत स्नेह और सम्मान दिया है।&#39;</p>

<p>गांधीनगर सीट से टिकट कटने के बाद अपने ब्लॉग में लाल कृष्ण आडवाणी ने लिखा, &#39;मैं गांधीनगर के लोगों के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं, जिन्होंने 1991 के बाद छह बार मुझे लोकसभा के लिए चुना है। उनके प्यार और समर्थन ने मुझे हमेशा अभिभूत किया है। मातृभूमि की सेवा करना मेरा जुनून और मेरा मिशन है। जब से मैंने 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ज्वाइन किया है। मेरा राजनीतिक जीवन लगभग सात दशकों से मेरी पार्टी के साथ अविभाज्य रूप से जुड़ा रहा है। पहले भारतीय जनसंघ के साथ और बाद में भारतीय जनता पार्टी। मैं दोनों का संस्थापक सदस्य रहा हूं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और कई अन्य महान, प्रेरणादायक और दिग्गजों के साथ मिलकर काम करना मेरा दुर्लभ सौभाग्य रहा है।&#39;</p>

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<p>लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा, &#39;मेरे जीवन का मार्गदर्शक सिद्धांत है – नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्स्ट, सेल्फ लास्ट। सभी परिस्थितियों में मैंने इस सिद्धांत का पालन करने की कोशिश की है और आगे भी करता रहूंगा। भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान है। पार्टी व्यक्तिगत और राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की पसंद की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है। बीजेपी हमेशा मीडिया सहित हमारे सभी लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता, निष्पक्षता और मजबूती की मांग करने में सबसे आगे रही है। चुनावी सुधार, राजनीतिक और चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता हमारी पार्टी के लिए प्राथमिकता रही है।&#39;</p>

<p>ब्लॉग में लाल कृष्ण आडवाणी ने लिखा, &#39;यह मेरी ईमानदार इच्छा है कि हम सभी को सामूहिक रूप से भारत की लोकतांत्रिक शिक्षा को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए। सच है, चुनाव लोकतंत्र का त्योहार है, लेकिन ये भारतीय लोकतंत्र में सभी हितधारकों – राजनीतिक दलों, जन मीडिया, चुनाव प्रक्रिया का संचालन करने वाले प्राधिकारियों और सबसे ऊपर, मतदाताओं द्वारा ईमानदार आत्मनिरीक्षण के लिए भी एक अवसर हैं।&#39;</p>

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