पिता सुख राम और बेटे आश्रेय शर्मा के कांग्रेस में जाने के बाद बीजेपी सरकार में मंत्री अनिल शर्मा की मुश्किलें काफी बढ़ गई है। अनिल शर्मा फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि वे बेटे का साथ दे या बीजेपी का प्रचार करें। अनिल शर्मा ने कहा है कि जिस तरह से बीजेपी के नेताओं और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के बयान आ रहे हैं उससे लगता नहीं है कि वे ज्यादा दिन तक सरकार में मंत्री पद पर बने रहेंगे।
अनिल शर्मा ने कहा कि उन्होंने पहले ही मुख्यमंत्री को इस विषय के बारे में अवगत करवा दिया था और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती को भी कहा था कि वे मंडी लोकसभा क्षेत्र में बेटे के खिलाफ बीजेपी के लिए प्रचार नहीं सकेंगे। अब बीजेपी को तय करना होगा कि आगे क्या करना है क्योंकि वह अपने परिवार और बेटे के खिलाफ नहीं जा सकते।
मुख्यमंत्री और मंत्री बनना आसान है लेकिन नेता बनना बेहद मुश्किल
अनिल शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्री बनना आसान है लेकिन नेता बनना बेहद मुश्किल होता है। प्रदेश में पंडित सुख राम,शांता कुमार, वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल ने अपने आप को लोगों के बीच खुद को सफल नेता के रूप में साबित किया है। पंडित सुख राम ने प्रदेश के विकास में अहम भूमिका अदा कर खुद को विकास पुरूष के रूप में लोकप्रियता हासिल की है। पंडित सुख राम की तरह ही आश्रय शर्मा में भी नेता बनने के अच्छे गुण है।पिता के तौर पर अनिल शर्मा का हमेशा ही आश्रय शर्मा को आशीर्वाद रहेगा क्योंकि हर पिता हमेशा ही बेटे के उन्नति चाहता है।