मंडी लोकसभा का उपचुनाव होना है। किसी भी वक्त अन्य तीन विधानसभा क्षेत्रों फतेहपुर कांगड़ा, जुब्बल शिमला और अर्की सोलन के साथ मंडी लोकसभा उपचुनाव की तारीख की घोषणा हो सकती है। हिमाचल प्रदेश में पहली बार ऐसा होगा जबकि एक साथ चार उपचुनाव होंगे और इन सब की नौबत जनप्रतिनिधि का निधन हो जाने से आई है। इससे पहले मौत के कारण एक साथ इतने उपचुनाव कभी प्रदेश में नहीं हुए । लेकिन अब जबकि इन उपचुनावों की बिसात बिछ ही चुकी है तो जाहिर है कि उम्मीदवार भी अपने को किसी न किसी तौर पर सामने लाने लग गए हैं।
6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के निधन से श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बहाने ही सही मगर कांग्रेस को एक जुट होकर मंच पर ला दिया। अब यदि कांग्रेस की यह एक जुटता कायम रहती है जिसकी उम्मीद बहुत कम दिख रही है तो यह भाजपा के लिए चुनौती हो सकता है। यूं भी अगले साल प्रदेश विधानसभा चुनावों हैं और इससे पहले ये उपचुनाव सरकार के लिए कसौटी है तो विपक्ष कांग्रेस के लिए स्टार्टअप की तरह एक बहुत बड़ा मौका रहेगा।
मंडी की बात करें तो लोकसभा चुनावों में बेटे आश्रय के कांग्रेस का उम्मीदवार बन जाने से मंत्री पद खोकर भाजपा में ही साइलेंट मोड पर चल रहे अनिल शर्मा वीरभद्र सिंह के श्रद्धांजलि कार्यक्रमों में ही सही मगर कांग्रेस के साथ नजर आने लगे हैं। सेरी मंच पर अनिल शर्मा परिवार सहित पहुंचे तो अस्थियों के विसर्जन में कांग्रेसियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले। अब इसे किसी भी रूप में लिया जा सकता है। मगर राजनीति हलचल तो शुरू हो गई है कि आखिर कब अनिल शर्मा कांग्रेस का दामन थामेंगे।
वहीं, कांग्रेस में लोक सभा उपचुनाव को लेकर पूर्व मंत्री कौल सिंह का नाम उछल रहा है। यूं तो कौल सिंह का तो साफ कहना है कि उनका लोक सभा चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है, प्रतिभा सिंह को खड़ा करेंगे तो वीरभद्र सिंह के निधन से लामबंद हुई लोकसभा क्षेत्र की जनता उन्हें सहानुभूति के वोट देगी और कांग्रेस के लिए फायदा होगा । साथ ही उनका कहना है कि हाईकमान से आने वाले प्रभारियों की नजर में मुझे ही उपयुक्त उम्मीदवार माना जा रहा है। ऐसे में यदि आदेश हुआ तो उपचुनाव लड़ूंगा।
दूसरी तरफ प्रदेश सरकार के वरिष्ठतम मंत्री महेंद्र सिंह इन दिनों मंडी संसदीय क्षेत्र के ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं। एक-एक विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया जा रहा है। एक दिन में पांच से दस तक कार्यक्रम किए जा रहे हैं। मंडी कुल्लू जिलों के दौरे चल रहे हैं। अब तक सैंकड़ों कार्यक्रम वह इस क्षेत्र में कर चुके हैं । यूं तो भाजपा का तर्क है कि उन्हें मंडी संसदीय क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया है और वह इसी दृष्टि से दौरे पर हैं मगर जमीन सच्चाई तो यही दिख रही है कि वह भाजपा की ओर से सबसे सशक्त उम्मीदवार हो सकते हैं।
यह बात अलग है कि उनका गृह विधानसभा क्षेत्र धर्मपुर हमीरपुर लोक सभा क्षेत्र में है मगर उनका दखल मंडी लोक सभा क्षेत्र के हर विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक भी है और उनकी रिहायशें भी हैं। ऐसे में परिवार के किसी व्यक्ति को धर्मपुर से विधानसभा का टिकट देने आदि की शर्तों के साथ यदि महेंद्र सिंह ठाकुर भाजपा के उम्मीदवार बन जाएं तो शायद कोई बड़ी हैरानी नहीं होगी। बहरहाल इन उपचुनावों की तारीखों के एलान का इंतजार है जो कभी भी घोषित हो सकती हैं।