Follow Us:

मंडी नगर निगम में मिली जीत से गदगद भाजपा कार्यकर्ताओं का उपचुनाव से पहले बढ़ा मनोबल

बीरबल शर्मा |

मंडी नगर निगम में बड़ी जीत भाजपा के लिए र्क्वाटर फाइनल को जीतने जैसी मानी जा रही है। क्योंकि मंडी संसदीय क्षेत्र के लोगों को जल्द ही एक और उपचुनाव का सामना करना है। सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन से खाली हुई मंडी लोक सभा सीट पर आने वाले दिनों में चुनाव निश्चित है और यह एक तरह से प्रदेश सरकार के लिए 2022 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सेमीफाइनल होगा। अब इसी लिहाज से देखा जाए और इसे ,खेल, की भाषा में कहा जाए तो सरकार ने क्वार्टर फाइनल तो जीत लिया है। मगर अब सेमीफाइनल सामने है जिसके लिए कांग्रेस भी दो नगर निगमों में बहुमत हासिल करने के बाद नए जोश में आई है।

मंडी संसदीय क्षेत्र में एक ही नगर निगम है जो मंडी है। मंडी में भाजपा ने अच्छी जीत हासिल करके उपचुनाव से पहले अपने कार्यकर्ताओं को बुस्टर डोज दे दी है। यही बुस्टर डोज भाजपा के लिए उपचुनाव में काम आएगी। अभी प्रदेश में वर्तमान भाजपा सरकार के पौने दो साल का कार्यकाल बाकी बचा है। तीन चार महीने अब उपचुनाव की हलचल में ही निकल जाएंगे। उसके कुछ ही महीनों के बाद  चुनावी साल शुरू हो जाएगा। कहा जा सकता है कि सरकार के पास विधानसभा चुनावों से पहले कुछ खास कर दिखाने का समय कम ही बचा है।

वहीं, कांग्रेस भी मंडी नगर निगम में चार सीटें हासिल करके और प्रदेश की दो नगर निगमों में काबिज होकर एक तरह से पूरे फार्म में आती नजर आ रही है। ऐसे में उपचुनाव भी रोचक होगा और यह सरकार और विपक्ष के लिए एक बड़ा इम्तिहान होगा। मंडी संसदीय क्षेत्र प्रदेश के तीन चौथाई भाग में फैला है, इसमें 17 विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें 13 में भाजपा , 3 में कांग्रेस के विधायक हैं जबकि जोगिंदरनगर में भाजपा के साथ चल रहे आजाद विधायक हैं। ऐसे में आने वाले मंडी लोक सभा उपचुनाव इन विधायकों की कार्यप्रणाली को भी कसौटी पर परखेगा। नगर निगम चुनावों में निपट जाने के बाद अब मंडी लोक सभा उपचुनाव की हलचल शुरू होने वाली है और एक बार फिर से इस क्षेत्र की लगभग 17 लाख की आबादी को चुनाव का सामना करना पड़ेगा। देखना यही है नगर निगम चुनावों के परिणामों का लोक सभा चुनाव की रणनीति पर कितना असर दिखता है।