धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनावों का दौर आने से गर्मआहट आने शुरू हो गई है। इस बार चुनाव में दोनो प्रमुख दलों का टिकट किसे मिलेगा और किसका कटेगा यह चर्चा का विषय बना है। धर्मपुर के दोनो प्रमुख दलों पर नजर दौडाई जाए तो इनका अपना कोई स्थाई प्रत्याक्षी नहीं रहा।
1967 में पहली बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कशमीर सिंह विजयी रहे थे। 1967 से 2012 तक बारह बार चुनाव हुए, जिसमें पांच बार कांग्रेस, तीन बार बीजेपी, दो बार निर्दलीय, एक हिंविका, एक बार हिलोमो विजयी रहे है। 1990 में पहली बार महेंद्र सिंह निर्दलिय जीत कर आए और उसके बाद पांच बार अलग चुनाव चिन्हों पर विजयी रहे। फिर दूसरी बार दोबारा बीजेपी के टिकट पर 2012 में कांग्रेस प्रत्याक्षी चंद्र शेखर से मात्र 527 वोटों से जीत हासिल की।
कांग्रेस से चंद्र शेखर दो बार चुनाव हार चुके हैं। लेकिन, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से नजदीकी उनकी फिर से दावेदारी को मजबूत करती है। कांग्रेस के सचिव नरेंद्र ठाकुर भी एक चेहरा हो सकते है। इस लिस्ट में एक नया नाम पुर्व आईएएस अधिकारी अमर सिंह राठौर का भी जुड़ गया है। पूर्व मंत्री ठाकुर नत्था सिंह का नाम भी लिया जा रहा है। हिमाचल कांग्रेस प्रभारी से उनकी नजदीकींया क्या रंग लाती है यह तो समय ही बताएगा। लेकिन, माकपा ने भी जिला परिषद् सदस्य भुपेंद्र सिंह को प्रत्याक्षी बना कर इस मुकाबले को ओर दिलचस्प बनाने का काम किया है।
वहीं, महेंद्र सिंह की डगर युवा नेता नरेंद्र अत्री ने और मुश्किल कर दी है। नरेंद्र अत्री ने युवाओं में अपनी खासी पकड़ बना ली है, यही कारण है महेंद्र सिंह पुरे क्षेत्र का दौरा बार-बार कर रहे है। पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी संजीव कटवाल की संघ से करीबी भी जग जाहिर है। पूर्व मडंलाध्यक्ष राजेंद्र मंढोत्रा ने भी टिकट के लिए दावेदारी कर दी है इसके साथ सिद्धपुर वार्ड के जिला परिषद् सदस्य ठाकुर कश्मीर सिंह की सक्रियता को देखते हुए उनकी दावेदारी भी प्रबल मानी जा रही है।