हिमाचल विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन भी विपक्ष के निलंबित विधायक गेट में धरने पर बैठ गए। वहीं, सदन के अदंर जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई विपक्ष की तरफ़ से सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 26 फ़रवरी के घटनाक्रम का ज़िक्र करते हुए विपक्ष के नेता सहित 5 सदस्यों की बहाली के मामला उठाया। सुक्खू ने कहा कि जब तक निलबिंत सदस्यों का निलबंन वापस नहीं लिया जाता है तब तक सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी जाएगी। सरकार ने एक तरफ़ा कार्यवाही करते हुए विपक्ष के नेताओं के साथ मंत्रियों और विधानसभा अध्यक्ष ने धक्कामुकी की।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि 26 फ़रवरी को जो कुछ विपक्ष ने किया वह निंदनीय है। उस दिन उन्होंने विपक्ष को बातचीत का न्यौता दिया लेकिन विपक्ष ने अनसुना कर राज्यपाल का घेराव कर दिया। प्रदेश की जनता ने मुद्दों को उठाने के लिए सदस्यों को सदन में भेजा है न कि हमले करने के लिए भेजा है। विपक्ष के नेता भी इसमें शामिल हैं। इसलिए विपक्ष को राज्यपाल के पास जाकर खेद व्यक्त कर माफ़ी मांगनी चाहिए। ताकि गतिरोध ख़त्म हो सके।
विपक्ष की तरफ़ से आशा कुमारी ने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री झूठ बोल रहे हैं। कांग्रेस ने हिमाचल को बनाया है उस वक़्त के जनसंघ के नेताओं ने कहा था "स्टेट हुड को मारो ठुड" का नारा दिया था। राज्यपाल का अभिभाषण पूरा नहीं किया गया। राज्यपाल चले गए, चाय के लिए विपक्ष ने नहीं बुलाया तो विपक्ष गेट पर बैठ गए। उसके बाद संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज व उपाध्यक्ष ने धक्कामुकी शुरू हो गई। जब रास्ता बन्द था तो राज्यपाल को गमलों से ऊपर से क्यों ले जाया गया। मुख्यमंत्री इस घटना के लिए दोषी हैं।
आशा कुमारी ने कहा कि 26 फ़रवरी को स्थगित करने के बाद 4 मिनट में हाउस असंवैधानिक तरीक़े से बुलाया गया। सुरेश भारद्वाज को मामा कहकर आशा कुमारी ने कहा कि आप तो वकील हैं अपने ये क्यों नहीं रोका। इसलिए उनके निलंबित सदस्यों को तुरंत बहाल किया जाए। इस पर सदन गरमा गया।
इस पर विधानसभा उपाध्यक्ष कुछ बोलने के लिए उठे और विपक्ष से विक्रमादित्य सिंह और अन्य सदस्य उनसे सदन उलझ गए। दोनों तरफ से जमकर नारेबाजी हुई व विरोधस्वरूप विपक्ष ने सदन से वाकआउट कर दिया। हालांकि वाकआउट के बाद विपक्ष सदन में वापस आ गया है। मुख्यमंत्री जवाब दे रहे हैं लेकिन सदन में हल्ला जारी है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में काम रोको प्रस्ताव आज तक नहीं लाया गया। विपक्ष ने अभद्र तरीक़े से नारेबाजी कर रास्ता रोक दिया ये हिमाचल के लिए शर्मनाक है। एडीसी तक को धक्के मारे गए। सारे घटनाक्रम के लिए सरकार ने मंत्रियों सहित राज्यपाल से माफ़ी मांगी। लेकिन विपक्ष ने खेद तक नहीं जताया। देश भर में हिमाचल का नाम ख़राब हुआ है। विधानसभा उपाध्यक्ष के साथ सरकार है उनको उनकी सीट पर धमकाने नहीं दिया जाएगा। उनके साथ विक्रमादित्य का व्यवहार शर्मनाक है। सत्ता पक्ष हर तरह की लड़ाई लड़ने को तैयार है लेकिन राज्यपाल के साथ किया गया व्यवहार ठीक नहीं था। इसके लिए किसी को माफ़ नहीं किया जाएगा। भाजपा कार्यालय में हमले और शांता कुमार की बाजू तोड़ने का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कांग्रेस की आदत रही है इस तरह से व्यवहार करती है।
इस पर कांग्रेस पार्टी ने सदन में नारबाज़ी शुरू कर दी और सदन से दौबारा से वाकआउट कर दिया। कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि मुख्यमंत्री अंदर झूठ बोल रहे हैं। जब तक विपक्ष के 5 सदस्यों की बहाली नहीं की जाती है विपक्ष सदन नहीं चलने देगा।
वहीं, विधानसभा उपाध्यक्ष हंस राज ने कहा कि विपक्ष उनको टारगेट कर रहा है। उनको और परिवार को विपक्ष से खतरा है। क्योंकि उनको लगातार धमकियां मिल रही हैं। वह संवैधानिक पद पर बैठे हैं। उनको सदन में इस तरह धमकाना उचित नहीं। इसको लेकर मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की है। क्योंकि इसमें विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है।
उधर विधानसभा के बाहर गेट में धरने पर अपने साथियों सहित बैठे विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार तानाशाह बन गई है। वह कोई आतंकवादी नहीं है बल्कि सदन के सदस्य हैं जिनको सदन से बाहर रखने के लिए मार्शल लगा दिए गए हैं। माफ़ी उनको नहीं बल्कि सरकार को मांगनी है। क्योंकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पूरे घटनाक्रम के मास्टरमाइंड हैं। जयराम को इसका जवाब जनता 2022 के चुनावों में देगी।