नेता प्रदिपक्ष मुकेश अग्नहोत्री ने मुख्यमंत्री जयराम पर हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री गैर-हिमाचली अफसरों के हाथों में खेल रहे हैं जो निवेश के बहाने हिमाचल को बेचने के मनसूबों को अमलीजामा पहना रहे हैं। ऐसे प्रस्तावों के एमओयू हो रहे हैं जिससे हिमाचल की जमीनों के सौदे हो सकें। जबकि सरकारी नौकरियों में भी अब गैर-हिमाचली दनदनाने लगे हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा की सरकार केंद्र से मदद लाने में पूरी रतह से विफल हो गई है। राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए 65 हजार करोड़ का ऐलान पूरी तरह से खटाई में पड़ गया है। जबकि बीजेपी ने विधानसभा चुनावों से पहले इसको मुख्य मुद्दा बनाया था। उन्होंने कहा कि सरकार की दूसरी बड़ी नाकामी स्मार्ट सिटी प्रोजैक्टों की फंडिंग मामले में सामने आई है। इसको लेकर सरकार ने दलील दी थी कि फंडिंग 90:10 में होगी लेकिन अब प्रदेश सरकार ने केंद्र के आगे घुटने टेकते हुए 50:50 पर फंडिंग को मानने जा रही है। सरकार ने फंडिंग पैट्रन मनवाने के लिए पिछले पौने दो सास से प्रोजैक्टों को खटाई में डालकर रखा मगर अब स्टैंड बदला जा रहा है।
अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार मंडी में हवाई पट्टी को लेकर भी फंसी हुई है। सरकार पहले दुहाई दे रही थी कि हावई पट्टी स्वीकृत हो चुकी है लेकिन अब मुख्यमंत्री केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर डिफैंस के लिए हवाई पट्टी बनाने की वकालत कर रहे हैं। जबकि वित्तायोग से भी सरकार हवाई पट्टी के लिए पैसा मांग रही है। इससे यह जाहिर होता है कि पट्टी भी मंजूर नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार वित्तीय मोर्चे पर पूरी तरह से नाकाम हो चुकि है और अब केवल कर्जे की बैसाखियां ही उसका एकमात्र सहारा है इसलिए हर महीने करोड़ों का कर्ज लिया जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार की फिजूलखर्ची जोरों पर है। अलीशान गाड़ियां खरीदी जा रही हैं और उनकी बिलिंग भी कर्नाटक से हो रही है। क्या हिमाचल में गाड़ियों की एजैंसियां नहीं है? चयरमैनों का विरोध करने वाली सरकार अब चयरमैनों की फौज तैयार कर रही है। सरकार ने बजट भाषण में जिन योजनाओं का जिक्र किया था वे सब दम तोड़ रही हैं। खासतौर पर पर्यटन के क्षेत्र में एडीबी प्रोजेक्ट भी दम तोड़ गया। एडीबी का दूसरा चरण ठप है। सरकार पौने दो साल बाद भी पूर्व कांग्रेस सरकार को कोस रही है, जबकि समय अब जवाबदेही का है। उन्होंने सबाल करते हुए कहा कि ससकार ने 9500 करोड़ की केंद्र प्रायोजित योजनाएं लाने का एलान किया था उसकी क्या स्थिति है? रेल लाइनों के प्रोजेक्ट एक कदम भी आगे नहीं सरक पाए हैं। हवाई उड़ानें, रज्जूमार्ग सब धरे-के-धरे पड़े हैं।