<p>मंडी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की तरफ से सशक्त उम्मीदवार की तलाश शुरू हो गई है। 6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह को अगर पार्टी मंडी लोकसभा से उम्मीदवार के रूप में उतारती है तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मुश्किलें बड़ सकती हैं । विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी वीरभद्र सिंह पर एक बार फिर से दाव खेलती है तो एक बड़े उलटफेर की संभावना हो सकती है। बताते चलें कि इससे पहले 2009 में वीरभद्र सिंह ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था और जीते थे और फिर उनको केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था। इसके साथ ही उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह भी दो बार मंडी लोकसभा से सांसद रह चुकी हैं लेकिन पिछला चुनाव हारने के बाद बताया जा रहा है कि उन्होंने अब चुनाव में ना जाने का मन बना लिया है ।</p>
<p>ऐसे में वीरभद्र सिंह का हाल ही में संपन्न हुआ मंडी दौरा और दौरे के दौरान ही कहना कि अगर पार्टी हाईकमान बोलेगी तो वह चुनाव लड़ सकते हैं। ये स्पष्ट करता है कि कहीं ना कहीं अब वीरभद्र सिंह ने अगली राजनीति की तरफ कदम बढ़ा लिया है और टिकट वो इस बार भी अपनी पार्टी के भीतर विरोधियों को चित कर अपने पास रखेंगे या फिर अपने बेटे को दे सकते हैं। ऐसे में अगर वीरभद्र सिंह चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने में कामयाब होते हैं तो एक तरफ जहां वह कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर से अपना दबदबा हाईकमान को बता सकते हैं। वहीं, लगातार चल रही उनकी मांग की प्रदेश अध्यक्ष को बदला जाए को एक बार फिर से बल मिल सकता है ।</p>
<p>वहीं, सूत्र बताते हैं कि ना सिर्फ वीरभद्र सिंह खुद बल्कि विक्रमादित्य सिंह भी इन दिनों जनसंपर्क अभियान में जुटे हुए हैं और अपने लेवल पर पार्टी कार्यकर्ताओं से और लोगों से मिलकर चुनावों को लेकर फीडबैक ले रहे हैं । इन दोनों नामों के चर्चा में आने के बाद अब बहुत से अन्य नाम जो टिकट की दौड़ में आ रहे थे कहीं ना कहीं धुंधले पड़ते नजर आ रहे हैं। इतना तो हाईकमान के ध्यान में भी है कि अगर वीरभद्र परिवार से उम्मीदवार होगा तो पार्टी के लिए अच्छा संकेत मंडी विधानसभा में हो सकता है। अन्यथा मुख्यमंत्री के नाम पर बीजेपी यहां चुनाव लड़ने जा रही है और किसी बड़े उलटफेर की संभावना यहां कांग्रेस के लिए नहीं हो सकती है।</p>
<p>वहीं सूत्र यह भी बताते हैं कि वीरभद्र सिंह ने मंडी से टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए हाईकमान पर बात छोड़ दी है तो ऐसे में प्रदेश के अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी बड़े नेताओं को अब चुनाव ना लड़ने की बात पर जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। इनमें सबसे पहले हमीरपुर लोकसभा से नेता विपक्ष मुकेश अभिनेत्री और प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू का नाम आता है जो कि हमीरपुर में खुद चुनाव ना लड़कर किसी अन्य विकल्प की तलाश में जुटे हुए हैं। जबकि, हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र पर खुद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की निगाहें भी टिकी हुई हैं और वह एक सशक्त उम्मीदवार यहां से चाहते हैं।</p>
<p> इसके अलावा कांगड़ा लोक सभा में जीएस बाली का नाम सशक्त रूप से चल रहा है। लेकिन, उन्होंने अभी तक इसको लेकर कोई प्रतिक्रिया हां या ना में नहीं दी है। जिससे स्पष्ट होता है कि बाली भी निर्णायक भूमिका में कांगड़ा लोकसभा में दिखने की तैयारी में है। इस तरह से यह कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनावों में अगर कांग्रेस पार्टी बड़े नेताओं को मैदान में उतारने की फिराक में है और इसका अंदेशा कहीं ना कहीं इन नेताओं को भी हो चुका है। यही कारण है कि अपने-अपने लेवल पर ये नेता भी जीत हार की फीडबैक अपने समर्थकों कार्यकर्ताओं से लेते नजर आ रहे हैं।</p>
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