हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह इन दिनों पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू को हटाने पर पूरा जोर लगा रहे हैं। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री हाईकमान से भी मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन हाईकमान के फैसले पर अभी सस्पेंस बरकरार है।
इसी बीच मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की बात करें तों इससे पहले भी सीएम कई बार चुनावों के समय कांग्रेस में बम फोड़ चुके हैं। 2012 के चुनावों में भी मुख्यमंत्री ने हाईकमान के समाने ऐसी ही शर्तें रखी थी, जो कि इस बार फिर रखी हैं। मुख्यमंत्री हाईकमान पर चंद विधायकों और लोगों का वोटबैंक दिखाकर हाईकमान को हर बार उकसाते आए हैं। यहां देखिये…
इस दैनिक अखबार की कटिंग में साफ-साफ देखा जा सकता है कि मुख्यमंत्री ने इससे पहले भी हाईकमान पर दबाव बनाया था। यहां तक की उन्होंने यह भी कहा था कि अगर हाईकमान नहीं माना तो मैं घर बैठ जाउंगा और चुनाव में नहीं उतरूंगा। यही नहीं, 2012 में मुख्यमंत्री यह भी कह चुके हैं कि हाईकमान द्वारा अनदेखी होगी तो तमाम विकल्प खुले हैं…
कांग्रेस में ये सारा भूचाल केवल मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कारण आ रहा है। मुख्यमंत्री साफ तौर पर यह चाहते हैं कि आने वाले चुनावों में टिकट का आवंटन वह खुद करें ना कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष या कोई और।
यहां तक उन्हीं के पार्टी नेता भी उनके खिलाफ कई बार मोर्चा खोल चुके हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री सबका इस्तेमाल कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। मुख्यमंत्री का यह सब करना साफ तौर पर कुर्सी पर बने रहने के लिए किया जाता है। इसके अलावा एक अन्य वजह यह भी सामने आती है कि मुख्यमंत्री चुनावों में अपने बेटे विक्रमादित्या सिंह को आगे लाना चाहते हैं, जिसके चलते एक बार फिर पुराना इतिहास दोहराया जा रहा है और प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की बात की जा रही है। लेकिन सारा फैसला हाईकमान के हाथों पर टिका हुआ है।