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शिमलाः कांग्रेस और मार्क्सवादी पार्टी ने पार्किंग में अवैध वसूली करने के भाजपा पर लगाए आरोप

पी. चंद, शिमला |

जिला कांग्रेस कमेटी शिमला शहरी के पूर्व अध्यक्ष अरुण शर्मा ने कहा कि निगम कर्मचारियों को नेताओं के नाम पर धमकानें वाले पार्षद होश में आएं। लोकतंत्र में चुनें हुए प्रतिनिधि भी नियम कानून से ऊपर नहीं हैं। भाजपा की पाठशाला से निकलने वाले जनप्रतिनिधि  चाहे दिल्ली हों या शिमला हर स्थान पर नियम कानून की धज्जियां उड़ा रहें है। सत्ता का नशा सर चढ़ कर बोल रहा है और धन्ना सेठों को मुनाफा पहुचानें के लिए सरकारी कर्मचारियों को डराया धमकाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये शर्मनाक है जनता के प्रतिनिधि यदि जनता को छोड़ कर अवैध वसूली करनें वालो के समर्थन में खड़े दिखेंगे तो जनता का नियम कानून पर से विश्वास ही उठ जाएगा। निगम कर्मचारियों से किया गया बर्ताव निंदनीय है। सरकारी कार्यों में अड़चन पैदा करने पर पार्षद के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए था। इस प्रकार की घटना से आम जनता का विश्वास जनप्रतिनिधियों से भी उठ जाता है।

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को इस विषय को गंभीरता से लेना चाहिए। स्वच्छ राजनीति की बात करना और अनुसाशन में राजनीति कर जनता के सुख दुख का साथी बननें में भारी अंतर है। रोजाना भाजपा नेताओं के अनोखे बयान और कारनामें अब धीरे धीरे भाजपा का नकाब हटा रहें है यह स्पष्ट होता जरा है कि यह लोग जनता की सेवा करनें राजनीति में आएं हैं या अपनी जेबें भरनें के लिएअरुण शर्मा ने कहा की निगम को इस मामले की जांच करनी चाहिए और जनता के सामने लाना चाहिए कि अवैध वसूली का ये धंधा किस के इशारे पर चलाया जा रहा था गौर रहे कि खलीनी की पार्षद पूर्ण मल की देखरेख में खलीनी में पार्किंग की अवैध बसूली हो रही थी। जिसका आजकल खूब विवाद चल रहा है।

वहीं, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की जिला कमेटी नगर निगम शिमला में चल रहे व्यापक भ्रष्टाचार को लेकर नगर निगम प्रशासन बिल्कुल भी संजीदा न होने का आरोप लगाती है। उनका कहना है कि जब से बीजेपी नगर निगम शिमला में सत्तासीन हुई है इसमें बेरोकटोक भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसके ज्वलंत उदाहरण खलीनी पार्किंग में हुआ भ्रष्टाचार, घोटाला और जल विभाग का सामान कबाड़ में सस्ते भाव पर बेचना आदि प्रमुख हैं। खलीनी पार्किंग में हुए घोटाले का पता चले नगर निगम प्रशासन को दो दिन से अधिक समय हो गया है और पिछले कल नगर निगम की मासिक बैठक में भी सीपीएम की पार्षद ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था। परन्तु इस पर नगर निगम प्रशासन अभी तक मौन है और इतना समय बीतने के पश्चात भी आज तक इसके लिए जिम्मेवार लोगों के विरुद्ध कोई FIR दर्ज़ नहीं की गई है। जिससे स्पष्ट हो जाता है कि नगर निगम प्रशासन सरकार व सत्ता पक्ष के भारी दबाव में कार्य कर रहा है।

तीन साल पहले इस पार्किंग का ठेका समाप्त हो गया था तो इसका दोबारा टेंडर क्यों नहीं किया गया। ठेका समाप्त होने के पश्चात उक्त ठेकेदार से यह पार्किंग नगर निगम में अपने कब्जे में लेकर स्वयं क्यों नहीं चलाई गई जैसा कि और पार्किंग में भी किया जाता रहा है। उक्त ठेकेदार किसकी इजाजत से इसमें नगर निगम के नाम की पर्ची पार्किंग के लिए काटता रहा और लाखों रुपए गैर कानूनी तरीके से इस पार्किंग से कमाई कर जनता और नगर निगम के साथ ठगी करता रहा है। ठेकेदार ने पिछले तीन सालों में लाखों रुपए गैर कानूनी तौर पर ऐंठ कर नगर निगम और जनता के साथ ठगी की है और नगर निगम की संपत्ति पर गैर कानूनी कब्जा किया है। जिस पर उक्त दोषियों पर तुरंत एफआईआर कर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए थी। इस पार्किंग के कब्जाधारी के विरुद्ध जब कार्रवाई करने हेतू गए नगर निगम के कर्मचारियों के साथ किया गया दुर्भाग्यपूर्ण बर्ताव से स्थानीय पार्षद की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में आई है, जिसकी जांच की जानी भी आवश्यक है क्योंकि नगर निगम के चुने हुए हर प्रतिनिधि की वैधानिक जिम्मेदारी है कि वह नगर निगम की संपत्ति की रक्षा करें।

बीजेपी के कई पार्षद भी  भ्रष्टाचार को लेकर कई बार नगर निगम की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठा चुके हैं। चाहे बिना टेंडर चेहतों को ठेका देने का मुद्दा हो या जल विभाग के सामान को कबाड़ में बेचने का मुद्दा हो कई बार सदन में उठाया गया है। लेकिन इन मुद्दों पर नगर निगम प्रशासन कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहा है। जिससे नगर निगम की मंशा संदेह के घेरे में आती है या ऐसा प्रतीत होता है कि वह सरकार और सत्ता के करीबी लोगों के दबाव में कार्य कर रहा है। सीपीएम ने सरकार से मांग की है कि नगर निगम शिमला में चल रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए खलीनी पार्किंग घोटाले में संलिप्त व इनको संरक्षण देने वालों के विरुद्ध तुरन्त  FIR दर्ज करने के आदेश नगर निगम प्रशासन को दे। यदि नगर निगम खलीनी पार्किंग के घोटाले के लिए दोषियों के विरुद्ध FIR दर्ज नहीं करती है और भ्रष्टाचार से जुड़े अन्य मामलों की निष्पक्ष जांच नहीं कि जाती तो सीपीएम नगर निगम में चल रहे इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन आंदोलन चलाएगी।