वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लोकप्रियता का ग्राफ इतनी तेजी से गिरता जा रहा है कि खुद इनका शीर्ष नेतृत्व मान चुका है कि कांग्रेस अब एक सीमांत (फ्रिंज) पार्टी बनकर रह गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कहती हैं कि उनकी पार्टी वोट काटकर दूसरी पार्टी को फायदा पहुंचाने और बीजेपी को नुकसान पहुंचाने के लिए चुनाव लड़ रही है। इन चुनावों के मध्य में ही कांग्रेस ने हार मान ली है और देशभर में बेमन से हारी हुई लड़ाई लड़ रही है।
प्रियंका गांधी कहती हैं कि कांग्रेस पार्टी ने कुछ जगह ऐसे उम्मीदवार चुनाव के मैदान में उतारे हैं, जो बीजेपी का वोट काट सकें, ना की चुनाव में जीत हासिल कर सकें। कांग्रेस पार्टी का मनोबल तो इतना टूट चुका है कि उसे यह भी भ्रम है कि वह महागठबंधन का हिस्सा है भी या नहीं। देश में अगली सरकार बनाने का दावा करने वाली पार्टी यदि खुद को वोटकटवा कहे तो उसकी मजबूरी और उसकी असलियत को समझा जा सकता है”।
उन्होंने कहा कि पिछले 3 दशकों से कांग्रेस पार्टी लगातार सिकुड़ती जा रही है और उसे इस बात का एहसास अच्छी तरह है। 2009 के चुनाव को छोड़ दें तो जवाहर लाल नेहरू के दौर में 300 से 400 तक सीटें जीतने वाली कांग्रेस राजीव के दौर में 125-130 सीटों तक सिमट गई और अब यह 40 से भी कम सीटों तक वाली पार्टी बन चुकी है।
कांग्रेस अब ऐसे आयोजनों का हिस्सा बनती है जहां देश विरोधी गतिविधियां चलती हैं। ऐसे आयोजनों में राष्ट्रीय पार्टी नहीं बल्कि सीमांत और अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही पार्टियां जाती हैं। कांग्रेस नेताओं के बयान और उनके क्रिया कलाप बताते हैं कि इनका नेतृत्व हताश और निराश है। कांग्रेस मान चुकी है कि वो अब राजनीति में किनारे लग चुकी है। एक मुख्यधारा की और देश की सबसे पुरानी पार्टी अब भारतीय राजनीति में किनारे लग चुका संगठन है।