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हमीरपुर लोकसभा पर कांग्रेस हाईकमान मेहरबान, संगठन में क्षेत्र के नेताओं पर भरोसा!

नवनीत बत्ता, हमीरपुर |

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में कांग्रेस का ख़ास फोकस दिखाई दे रहा है। संगठनात्मक रूप से जो कद-काठी हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र को मिलती दिखाई दे रही है, वह राज्य के बाकी क्षेत्रों से जुदा है। हाल के घटनाक्रमों पर नज़र डाले तो ऐसा लगता है कि पार्टी कोई दूर की कौड़ी साधने में जुटी है।

दरअसल, जब हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से पहले ही प्रदेश के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष पद पर आसीन दो बड़े नेता हैं। अब एआईसीसी द्वारा राजेश धर्माणी को उत्तराखंड की नई जिम्मेदारी सौंपना एक निश्चित एंगल की तरफ इशारा कर रहा है। ऐसे में संगठन विशेष का झुकाव इस लोकसभा क्षेत्र पर ख़ास दिखाई दे रहा है।

जानकार इसे शिमला के प्रभाव को कमतर करने के नजरिए से भी देख रहे हैं। हालांकि, इस तर्क पर फिलहाल तवज्जो देना अभी जल्दबाजी होगी। वहीं, मंडी ज़िला में कौल सिंह ठाकुर मौजूद हैं। लेकिन, उनकी छवि वरिष्ठ नेता के तौर पर ही रुकी हुई है। जबकि मंडी सुखराम परिवार के बीजेपी में शामिल होने के साथ ही संगठनात्मक रूप से कमजोर भी हुई है। सुखराम परिवार की वजह से पार्टी में जो गैप बना है, आलाकमान भी उसे भरने को लेकर ख़ास रुचि नहीं दिखा रहा। ऐसे में भविष्य के मद्देनज़र इसके भी कई पहलू सामने आ सकते हैं।

कांगड़ा ज़िला वैसे तो संगठन की निगाह में है। कांगड़ा ज़िला में जिस तरह से पार्टी के कद्दावर नेताओं की धुरी घुम रही है, उस पर संगठन फिलहाल नज़र रखता दिखाई दे रहा है। हाल में देखा जाए तो पूर्व मंत्री जीएस बाली के हक में जिस तरह से राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं, उससे लोकसभा चुनाव में पार्टी की धाक बननी तय मानी जा रही है।

लेकिन, हमीरपुर लोकसभा में जहां पार्टी राज्य के बाकी लोकसभा क्षेत्रों के कमजोर नज़र आती थी। अब वहीं से संगठन उड़ान की जिद ठाने दिखाई दे रहा है।