विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंडित सुखराम ने परिवार सहित बीजेपी का दामन थाम लिया है। उनके साथ उनके बेटे अनिल शर्मा और पोते आश्रय शर्मा भी बीजेपी में शामिल हो गए। शनिवार देर शाम उनके पार्टी में शामिल होने पर मुहर लगी।
समाचार फर्स्ट ने शनिवार सुबह ही यह ख़बर ब्रेक की थी कि पंडित सुखराम अपने बेटे और पोते के साथ बीजेपी में शामिल होने वाले हैं। हालांकि, दिन में पंडित सुखराम दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय भी पहुंचे थे, जहां कांग्रेस प्रभारी शिंदे के साथ उनकी बैठक भी हुई। बताया जा रहा है कि बैठक में भी कांग्रेस उन्हें मनाने में नाकाम साबित हुई।
वीरभद्र सिंह ज़िद की वजह से कांग्रेस में तोड़-फोड़
मंडी में कांग्रेस की रैली के दौरान पंडित सुखराम को आमंत्रित तक नहीं किया गया था। जाहिर है इसका रिएक्शन तो होना ही था। 1998 में भी पंडित सुखराम की अनदेखी कांग्रेस के लिए भारी पड़ी थी। जाहिर है, चुनाव से ठीक पहले अहम की लड़ाई में कांग्रेस का एक मजबूत किले में सेंध लग चुकी है। समाचार फर्स्ट ने उसी दौरान इस बात को पब्लिश किया था कि कई दिनों की तनातनी में मंडी रैली ने आग में घी डालने का काम किया है और जल्द पंडित सुखराम का परिवार बड़ा फैसला ले सकता है।
गौरतलब है कि कई मौकों पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और पंडित सुखराम की निजी तकरार कांग्रेस के लिए घातक साबित होती रही है। वर्तमान में वीरभद्र सिंह का नेतृत्व से लेकर टिकट आवंटन में अपनी मनमानी का साइड-इफेक्ट ज्यादा दिखने लगा है। बताया जा रहा है कि ना सिर्फ सुखराम ही बल्कि अन्य नेता भी बगावत के लिए तैयार हो चुके हैं और अब पंडित सुखराम का साथ छोड़ना दूसरों को भी प्रोत्साहन मिल सकता है।
दूसरे नेता भी छोड़ सकते हैं कांग्रेस का साथ
चुनाव के इस नाजुक मोड़ पर कांग्रेस के कुछ और नेता भी साथ छोड़ने की कगार पर हैं। माना जा रहा है कि पार्टी के भीतर जिस तरह की गतिविधियां बनी हैं वह ठीक नहीं है। ऐसे में आगामी चंद दिनों में इस मिस्ट्री से भी पर्दा उठने वाला है।