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पीएम की सुरक्षा में बरती लापरवाही की कांग्रेस विधायक ने की अलोचना, पंजाब कांग्रेस को दी नसीहत

पी. चंद |

एक ओर पंजाब कांग्रेस पीएम की सुरक्षा में चूक से किनारा कर रही तो वहीं दूसरी ओर हिमाचल कांग्रेस के कुछ नेता पीएम की सुरक्षा को लेकर पंजाब सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। अब हिमाचल कांग्रेस से विधायक विक्रमादित्य सिंह ने पीएम सुरक्षा को लेकर बरती लापरवाही की आलोचना की है। विधायक ने कहा कि ‘वैसे तो पंजाब सरकार पर टिप्पणी करना हमारे कार्य अधिकार से अलग है। मगर पिछले कल जो घटनाक्रम वहां पर हुए हैं वह बहुत चिंताजनक हैं। प्रधानमंत्री वह चाहे किसी भी राजनैतिक दल से क्यों न हों उनकी सुरक्षा में इस तरीक़े का लैप्स हैरान करने वाला है।’

उन्होंने कहा कि ‘इसकी पंजाब सरकार को तुरंत जांच करवानी चाहिए और जिन अधिकारियों की ओर से इसमें कमी पाई गई है उन पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। SPG प्रधानमंत्री के अंदर के सुरक्षा घेरे का ख्याल रखता है और जिस भी राज्य या देश में वह जाते हैं बाहर का सुरक्षा घेरा उस राज्य और देश की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दिया जाता है। जो तर्क दिया गया है कि प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर से सभा स्थल तक पहुंचने का कार्यक्रम था। इसीलिए यातायात का इंतज़ाम पूर्ण रूप से नहीं किया गया जो ठीक नहीं है। क्योंकि हम जानते हैं जब इस स्तर के VVIP का कार्यक्रम होता है तो ऑल्टरनेट रूट भी तत्कालीन परिस्थिति में निष्क्रमण के लिए रखे जाते हैं ताकि किसी भी परिस्थिति में उन्हें वहां से सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।

कांग्रेस शासित राज्य होने के चलते प्रशासन को इस चीज़ का और ध्यान रखना चाहिए था कि इस तरह की कोई भी चूक प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में ना हों ताकि राजनैतिक दृष्टि से कोई उंगली न उठा सके। अब चूक हुई है तो कार्रवाई भी निश्चित तौर से होनी चाहिए। इस घटनाक्रम को राजनैतिक दृष्टिकोण से देखने की कोई आवश्यकता नहीं।

ग़ौरतलब है कि पिछले कल बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम के दौरान चूक की ख़बर थी। हालांकि कांग्रेस का दावा था कि किसी तरह की चूक नहीं हुई। जब रैली में कोई नहीं पहुंचा तो बेवजह इसका झूठ फैलाया गया है। जबकि भाजपा नेताओं का ये कहना था कि पंजाब सरकार ने सुरक्षा और कॉपरेट नहीं किया। अब कौन सच बोल रहा है ये तो जांच की बात है, लेकिन बात कांग्रेस के एक विधायक की करें तो उनकी विचारधारा दूसरी पार्टियों से मिलती जरूर दिखाई दे रही है। क्योंकि पार्टी लाइन से हटकर बोलना तब सही होता है जब उन्हें सच का पक्का पता हो। लेकिन यहां अभी तक मामला कन्फ्यूजिंग ही चला है।