<p>कांग्रेस सेवादल के संस्थापक स्व. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर की 44वीं पूण्य तिथि पर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सेवादल ने कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन शिमला में श्रद्वाजंलि दी और उन्हे स्मरण किया। कार्यक्रम की अध्यक्ष्ता कांग्रेस सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग शर्मा ने की। इस अवसर पर उन्होने स्व हार्डिकर की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नारायण सुब्बाराव हार्डिकर भारत के स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस के प्रसिद्ध राजनेता थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में प्रसिद्ध हिन्दुस्तान सेवादल की स्थापना की थी। बंगाल विभाजन के विरोध में नारायण सुब्बाराव ने आर्य बाल सभा का गठन किया था। आजादी के बाद वर्ष 1952 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया था। देश के प्रति निष्ठा और सेवा भावना को देखते हुए भारत सरकार ने नारायण सुब्बाराव को पद्मभूषण से सम्मानित किया था।</p>
<p>अनुराग शर्मा ने कहा कि सुब्बाराव हार्डिकर का जन्म 7 मई 1889 ई. को ब्रिटिश शासन काल में मैसूर राज्य (कर्नाटक) के धारवाड़ जिले में हुआ था। अपनी आरंभिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद वे अध्ययन के लिए पुणे चले गए। इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आगे उच्च शिक्षा के अध्ययन के लिए नारायण सुब्बाराव 1913 में अमरीका चले गए। भारतीय स्वतंत्रता के पक्ष में वातावरण बनाने के लिए हिन्दुस्तान एसोसिएशन ऑफ अमरीका नाम की संस्था काम कर रही थी। नारायण सुब्बाराव हार्डिकर भी उसकी गतिविधियों में रुचि लेने लगे। बाद में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में इंडियन लीग ऑफ अमरीका नाम की संख्या बनी तो उसके मंत्री का पदभार डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर ने संभाला।</p>
<p>भारत लौटने पर नारायण सुब्बाराव ने कर्नाटक में राष्ट्रीय भावनाओं के प्रचार के लिए अनेक संस्थाओं की स्थापना की। उनका सबसे महत्त्वपूर्ण काम 1923 में श्हिन्दुस्तान सेवादल की स्थापना था। देश-भर में घूमकर हार्डिकर ने इस संस्था का विस्तार किया। श्हिन्दुस्तान सेवादल का देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा था। इसके स्वयं सेवक हर संघर्ष में भाग लेते रहे। डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्डिकर 1930 में गिरफ्तार कर लिए गए और सेवादल गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया। इसके बाद भी हर आंदोलन में नारायण सुब्बाराव जेलों में बंद किए गए।</p>
<p>भारत की स्वतंत्रता के बाद नारायण सुब्बाराव हार्डिकर को 1952 में राज्य सभा का सदस्य चुना गया। 1962 तक वे इस पद पर बने रहे। देश और उनकी सेवाओं को देखते हुए श्भारत सरकारश् ने उन्हें पद्मभूषण के मानद सम्मान से सम्मानित किया था। उनका निधन 26 अगस्त 1975 को हुआ। कांग्रेस सेवादल के प्रदेशाध्यक्ष ने आज आवश्यकता है कि हम उनकी शिक्षाओं का अनुसरण अपने जीवन में अपनाएं और देशहित में सामाजिक कार्यो से जुड़कर आम जनता की उन्नति व प्रगति में अपनी भागीदारी निभाएं। यही हार्डिकर के प्रति सच्ची श्रद्जंलि होगी।</p>
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