हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक परिदृश्य को देखा जाए तो इस समय कांग्रेस पार्टी क्राइसिस के दौर से गुज़र रही है । वहीं, अगर भाजपा की बात करें तो भाजपा की मस्ती भी खत्म होती नजर नहीं आ रही । यह बात इसीलिए कह सकते हैं क्योंकि अब करीब 10 महीने होने को हैं । लेकिन कांग्रेस पार्टी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के गठन और उसकी घोषणा अभी तक कर पाने में पूरी तरह नाकाम रही है ।
प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर से जब बात हुई तो उन्होंने कहा कि फरवरी महीने में पूरी कार्यकारिणी की घोषणा हो जाएगी । लेकिन अब मार्च महीना भी शुरू हो गया है । लेकिन घोषणा कब होगी इसके इंतजार में सभी हैं । जिसके चलते कांग्रेस का कार्यकर्ता अब हताश होने लगा है । सिर्फ युवा कांग्रेस ही किसी हद तक खुद को जनता के बीच में लेकर जाने में कामयाब हुई है और कांग्रेस की जितने भी मोबिलाइजेशन प्रदेश में चल रही है उसका पूरा श्रेय यूथ कांग्रेस को जाता नजर आ रहा है ।
वहीं, अगर हम भाजपा की बात करें दो भाजपा का राजनीतिक हनीमून लगातार जारी है । कभी दिल्ली चुनावों के बहाने कभी इन्वेस्टर मीट के बहाने तो कभी प्रदेश के विकास के बहाने विदेशों के दौरे बदस्तूर जारी हैं। लेकिन जनता को यहां क्या हासिल हो रहा है । ये बड़ा प्रश्न है । प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार लोकसभा चुनावों से पहले का होना तय हुआ । लेकिन ना तो यहां पर निगम और बोर्ड के पूरे अध्यक्ष बन पाए यहां तक की प्लानिंग कमीशन के अध्यक्ष पद पोलूशन कंट्रोल बोर्ड का अध्यक्ष पद इतने महत्वपूर्ण अध्यक्ष पदों पर नियुक्तियां होना भी बाकी है । लेकिन सरकार को ढाई साल होने के बाद भी अभी तक इन बोर्डों के अध्यक्षों के नाम सरकार तय नहीं कर पाई है ।
उसी तरह मंत्रिमंडल में विस्तार को लेकर कई तरह के नाम चर्चा में आते रहते हैं लेकिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी जैसे पूरा राजनीतिक खेल मंजे हुए खिलाड़ी की तरह करने का प्रयास कर रहे हैं और विधायकों को अपने इर्द-गिर्द पूरी तरह से घुमाने में कामयाब नजर होते नजर आ रहे हैं । लेकिन इन सब का नुकसान प्रदेश को मंत्रिमंडल के खाली पदों के रूप में होता नजर आ रहा है और 2 साल के कार्यकाल में ईमानदार सरकार देने वाली का दावा करने वाली भाजपा युवाओं के लिए कोई महत्वपूर्ण कदम उठाया पाई हो ऐसा नजर कहीं नहीं आया ।
आउट सोर्स पॉलिसी को पूरी तरह भ्रष्टाचार के साथ मिलाकर देखा जा रहा है और अब तो युवाओं ने और सोच के तहत नौकरियां छोड़ना भी शुरू कर दिया है क्योंकि भविष्य में कोई बड़ी बात उन्हें इस नौकरी में दिखाई नहीं दे रहे हैं । इस तरह से यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी जहां संगठन की उदासीनता के चलते दिवालियापन की तरफ बढ़ती नजर आ रही है वही भाजपा सरकार पूरी तरह हनीमून मोड में दीवानों जैसी स्थिति में खड़ी नजर आ रही है ।