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डेटा लीक मामला: जेडीयू ने एनालिटिका का किया इस्तेमाल, इन चुनावों में भी हुआ था काम

समाचार फर्स्ट डेस्क |

कैंब्रिज एनालिटिका डेटा लीक विवाद पर भारतीय राजनीति में मचे भूचाल के बीच विसलब्लोअर 'क्रिस्टोफर वाइली' ने भारत में चुनावी काम का ब्योरा सार्वजनिक कर दिया है। क्रिस्टोफर वाइली ने एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने साफ किया है कि SCL इंडिया नाम की एजेंसी ने भारत में चुनाव के वक़्त बड़े पैमाने पर जातिगत डेटा मुहैया कराए हैं। इस डेटा में बड़े स्तर पर जाति गणना, रूझान और स्विंग वोटरों का बारीक विश्लेषण है।

ट्वीट में वाइली ने खुलासा किया है कि एजेंसी ने देश के अलग-अलग प्रांतों में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों में बड़े स्तर पर काम किया। ये काम भारत के राजनीतिक दलों की तरफ से कराए गए। क्रिस्टोफर वाइली के ट्वीट में सीधे तौर पर 2010 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव का जिक्र है। जिसमें जेडीयू द्वारा इस कंपनी के इस्तेमाल की बात कही गई है।

मंगलवार को ब्रिटिश संसद में दिए गए एक बयान में क्रिस्टोफर वाइली ने दावा किया कि एनालिटिका का भारत में भी दफ्तर था और यहां बड़े पैमाने पर काम किए गए। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के लिए काम करने का भी दावा किया।

600 ज़िले और 7 लाख गांवों का है डेटा

कैंब्रिज एनालिटिका SCL ग्रुप का हिस्सा है। इसे भारत में SCL इंडिया नाम दिया गया है। ग्रुप के पास भारत के 600 जिलों और 7 लाख गांवों का डेटा है, जो लगातार अपडेट होता है। वाइली ने जो ब्योरा दिया है उसमें बताया गया है कि इस माइक्रो लेवल सूचना के जरिए जातिगत डेटा से लेकर घर-घर की जानकारी है।

कैसे काम करती थी SCL इंडिया

SCL इंडिया की सेवा का इस्तेमाल भारत के चुनाव में जमकर किया गया है। यह एजेंसी अपने क्लाइंट को उनके टारगेट ग्रुप के हिसाब से डेटा मुहैया कराती और उनकी हिसाब से परिणाम लाने की कोशिश करती थी। जाति, धर्म और समाजा विशेष की सायकॉलजी का भी विश्लषण किया जाता। चुनाव के वक़्त एक विधानसभा या लोकसभा में वोटिंग पैटर्न क्या रहने वाला है, इसकी समीक्षा की जाती। जाति, उपजाति, ठोस वोट बैंक, स्विंग वोटर जैसे खांचों में बांटकर लोगों का मजबूत डेटा मुहैया कराया जाता। 

बिहार में जेडीयू के लिए किया काम

डेटा लीक विवाद को दुनिया के सामने लाने वाले विसलब्लोअर क्रिस्टोफर वाइली ने बताया है कि एससीएल ने 2010 बिहार विधानसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर काम किए। इस दौरान सभी जातियों की विशेष संख्या बल और उनके पार्टी विशेष के प्रति रूझानों को ब्यौरा दिया गया। कौन सा तबका अस्थिर है, इसका भी हिसाब-किताब दिया गया था।

यूपी में एक नेशनल पार्टी के लिए किया काम 

क्रिस्टोफर वाइली के मुताबिक कैंब्रिज एनालिटिका ने भारत के अधिकांश राज्यों में बड़े स्तर पर काम किया है। वाइली द्वारा सार्वजिनक दस्तावेजों के मुताबिक कंपनी ने उत्तर प्रदेश के 2012 चुनाव में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। दावा है कि यह काम एक नेशनल पार्टी के लिए किया गया था। हालांकि, उस पार्टी का खुलासा नहीं किया गया है।

लोकसभा चुनाव 2009 में भी कंपनी ने किया काम

कंपनी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में भी काम किया था। इस दौरान संसदीय क्षेत्र के हिसाब से उसने अपने क्लाइंट को वोटरों के डेटा मुहैया कराए थे। साथ ही साथ वोटरों को कैसे अपने पाले में लिया जाए, इस सायकॉलजी पर भी काम किया गया था।

कांग्रेस के कंपनी ने किया था काम

मंगलवार को क्रिस्टोफर वाइली ने ब्रिटिश संसद में यह दावा कर सबको चौंका दिया कि कैंब्रिज एनालिटिका ने भारत में कांग्रेस पार्टी के लिए काम किया था और डेटा मुहैया कराया था।

डेटा चोरी का मामला भारत में अभी सिर्फ राजनीतिक मसला है। लेकिन, यूरोपीय देश और अमेरिका में यह राजनीतिक होने के साथ-साथ सामाजिक रूप से भी गंभीर मुद्दा बन गया है। वहां लोग इसे अपनी निजता का हनन मान रहे हैं और इस काम में जुड़े राजनीतिक लोगों को सही नज़र से नहीं देखा जा रहा।