<p>पांवटा के बीजेपी विधायक सुखराम चौधरी ने संकल्प लाया कि प्रदेश में नई पेयजल/सिंचाई योजनाओं को पानी लेने हेतु केंद्रीय एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने की छूट पर सदन विचार करें। सुखराम चौधरी ने कहा कि हिमाचल के लोगों को ही पानी के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है। इसके लिए ठोस नीति बनाई जाए।</p>
<p>इस चर्चा में नूरपुर के विधायक राकेश पठानिया ने कहा कि हिमाचल के हितों को बेचकर बड़े बड़े डैम बने लेकिन अब उनका पानी उपयोग करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना पड़ता है जो कि गलत है। इस मामले को केन्द्र के समक्ष उठाया जाए।</p>
<p>इसी पर ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला ने भी कहा कि पानी की समस्या को लेकर कमिशन बनाई जाए जो पानी के लेवल और पानी के बचाब के लिए जरूरी कदमों की रिपोर्ट तैयार करें। अब पानी का लेवल नीचे जा चुका है। नहरों से पानी हिमाचल के किसानों को मिलता नहीं है। इस पर कोई नीति बनाई जाए। ताकि पानी की समस्या हल हो सके।</p>
<p>देहरा के विधायक होशियार सिंह ने मामले को आगे बढ़ाया ओर कहा कि बीबीएमबी ईस्ट इंडिया कंपनी बन गई है। उसके पानी पर और जमीन पर कोई हक नहीं है। पानी और नदियों के मालिकों को ही इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इन डैम से हिमाचल के हज़ारों परिवार उजड़े आज पानी के लिए प्रमाण पत्र लेनी पड़ी रही है ऐसा क्यों? इस पर नई नीति बनाने की ज़रूरत है। वहीं, कांग्रेस के विधायक इन्द्र दत्त लखनपाल ने बड़सर विधानसभा क्षेत्र के लिए गोविन्द सागर से पानी उठाने की मांग उठाई।</p>
<p>इस संकल्प के जबाब में सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री महेन्द्र ठाकुर ने बताया कि ये सच है कि पानी, नदियां और जमीन हिमाचल की होते हुए भी हिमाचल के लोगों को अपने अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। पानी का लेवल कम होने के चलते हिमाचल के लोगों को पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। डैम को लेकर आज़ादी से पहले और बाद में अग्रीमेंट हुए। इसके बाद जो ग्रेविटी से हिमाचल को पानी मिलना था नहीं मिल रहा है। जिसके चलते पानी की योजनाओं पर हिमाचल को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।</p>
<p>लाखों लोग इन डैम की वजह से उजड़ गए। लेकिंन आज स्थिति ये है कि हम प्रदेश की नदियों से पानी नहीं ले सकते हैं। ऐसी कई रुकावटें हैं जिनमें हिमाचल उलझा पड़ा है। ऐसे में हिमाचल के लोगों के हित कैसे सुरक्षित रह पाएंगे बड़ा सवाल है। बांधो का जो पैसा बनता है पंजाब सरकार उसको दे तक नही रही है। रेणुका बांध को लेकर मौजूदा सरकार का फ़ैसला सराहनीय है। इसलिए हिमाचल में इसके ऊपर नीति बनाई जाएगी। हिमाचल के हितों के लिए ऐसे फ़ैसले लेना ज़रूरी है।</p>
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