<div>राजनीति में ऊंट किसी करवट बैठेगा इसकी भविष्यवाणी कोई भी नहीं कर सकता। सियासी रणभूमि में चारो खाने चित्त महारथी कब दोगुनी ताकत के साथ तहलका मचा दे…यह भी विश्वास से परे है। अब हिमाचल बीजेपी के बेताज़ बादशाह रहे प्रेम कुमार धूमल को ही ले लीजिए। इनके बारे में चर्चा थी कि इनका राजनीतिक चैप्टर अब क्लोज होने जा रहा है। लेकिन, वक़्त का मिजाज़ कहें या निजी संघर्ष धूमल फिर से मैदान फतह की तैयारी में आ डंटे हैं। ख़बरों की माने तो हिमाचल बीजेपी की कमान अब उन्हीं के हाथों में आने वाली है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे के आस-पास ही उनकी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी हो सकती है।</div>
<p>सूत्रों ने समाचार फर्स्ट को जानकारी दी है कि बीजेपी के भीतर राजनीतिक करवट अब अपने क्लाइमेक्स पर है। इसके केंद्र में लोकसभा चुनाव है। ऐसे में लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी हाईकमान एक बार फिर प्रेम कुमार धूमल पर ही अपना विश्वास जताने जा रही है। प्रेम कुमार धूमल को नई जिम्मेदारी मिलने की चर्चाओं के साथ ही उनके खेमें में एनर्जी आ गई है। अब जो नेता और कार्यकर्ता खुद को हशिए पर महसूस कर रहे थे। अब उनकी भी क्रियाशीलता बढ़ने लगी है। इस तरह हाईकमान ने एक ही तीर से कई निशाने साध लिए हैं।</p>
<p>धूमल की बढ़ती ताक़त स्टेट बीजेपी में एक पावर बैलेंस का भी हिस्सा है। साथ ही साथ इलेक्टोरल पॉलिटिक्स में धूमल के बिना बीजेपी की दाल भी गलने वाली नहीं है। लिहाजा, एक तरह से हाईकमान की धूमल को जिम्मेदारी सौंपना एक मज़बूरी भी है और रणनीतिक रूप से बेहतर फैसला भी।</p>
<p>अब देखिए, जो समीरपुर कुछ वक्त से हाईप्रोफाइल नेताओं से विरान था। अब वहीं, धूमल के अध्यक्ष बनने की चर्चाओं के बाद गुलजार हो गया है। नेताओं और कार्यकर्ताओं का यहां तांता लग गया है। पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल से मिलने के लिए प्रदेश के तमाम नेता, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री यहां तक की पार्टी से निष्कासित नेता भी समीरपुर का रुख़ कर रहे हैं।</p>
<p><strong><span style=”color:#c0392b”>बीजेपी की आपसी कलह पर लगेगा विराम</span></strong></p>
<p>माना जा रहा है कि धूमल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी हाईकमान पार्टी के भीतर सिरफुट्टौवल को विराम दे देगी। उसके बाद इलेक्टोरल पॉलिटिक्स में धूमल के अनुभव और जोड़तोड़ का भी भरपुर लाभ उठाएगी। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव भी धूमल के ही नेतृत्व में लड़ा गया था। उस दौरान उन्होंने ही कई मुद्दों पर तत्कालीन सरकार को घेरा था और साथ ही साथ कार्यकर्ताओं की तैनाती से लेकर टिकट वितरण में प्रमुख भूमिका निभाई थी। हालांकि, इस दौरान वह अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहे थे।</p>
<p>मगर, अब फिर से बीजेपी की सियासत ने करवट ली है और फिर से धूमल पुराने रंग में दिखने वाले हैं। चर्चा ये भी है कि धूमल के फ्रंट-फुट पर आने से पार्टी के नाराज नेता और कांग्रेस के बागी नेता भी संपर्क में आ रहे हैं। हालांकि, पहाड़ों के मौसम की तरह ही राजनीति का मौसम होता है। कब धूप निकलेगी और कब बरसात होगी यह निश्चित नहीं होता। बादल किस गांव पर मेहरबान होंगे इसकी भी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। ऐसे में धूमल की ताज़पोशी के बाद मेरबानियों की बौछार कहां और किस कदर होगी यह भी अनिश्चित है। हालांकि, ख्याल यह भी रहे कि मौसम ख़राब होने की सूरत में प्रकृति का क़हर भी बरपता है।</p>
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