पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 104वीं जयंती के अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। धूमल ने कहा कि पंडित दीनदयाल की देन, एकात्मक मानववाद दर्शन आज भी विश्व के राजनीतिक पटल पर प्रासंगिक है। भारत के सर्वश्रेष्ठ विचारकों में से एक पंडित दीनदयाल स्वदेशी आधारित सामाजिक आर्थिक चिंतन के सर्वश्रेष्ठ चिंतक बने। पंडित दीनदयाल कहते थे कि जब तक देश में अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का उदय नहीं होगा, तब तक देश का उदय संभव नहीं है। अश्रुपूरित आंखों वाले व्यक्ति की आंखों से आंसू पहुंचकर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट लाने को वह अंतोदय की पहली सीढ़ी मानते थे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पंडित दीनदयाल ने अंत्योदय के मूल में कभी चुनावी लाभ नहीं देखा। वह तो समाज और गरीब के उत्थान के लिए अपने आप तक को खपा देने में विश्वास रखते थे। उन्होंने भारतीय राजनीति में अंत्योदय आधारित नीति के महत्व को समझा और उस को अपनाने के लिए समाज को प्रेरणा दी। उनका मानना था कि सामाजिक उत्थान की योजनाएं समाज के हर वर्ग के लिए बने लेकिन उन योजनाओं से लाभान्वित होने में प्रमुखता समाज में अंतिम खड़े व्यक्ति को ज्यादा मिले।
धूमल ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सपने को साकार करने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अनगिनत गरीबोन्मुख योजनाएं देश में चलाई हैं। 100 करोड़ से अधिक भारतीयों के जीवन में समृद्धि एवं संपन्नता लाने की दृष्टि से साहसिक निर्णय लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, आयुष्मान योजना प्रधानमंत्री आवास योजना मुद्रा योजना एवं किसानों के खातों में 6000 रुपये डालने की योजना इत्यादि सहित अन्य कई योजनाएं चलाई हैं। प्रोफेसर धूमल ने कहा कि देश के हर अंतिम व्यक्ति की चिंता कर उसके उत्थान के प्रति गंभीर होना यही सही मायनों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है।
राज्यपाल ने दीनदयाल उपाध्याय को पुष्पांजलि अर्पित की
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने राजभवन में दीनदयाल उपाध्याय की 104वीं जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका जीवन सामाजिक सदभाव और देशभक्ति का उदाहरण है। राज्यपाल ने कहा कि पण्डित दीनदयाल उपाध्याय दूरदर्शी, महान बुद्धिजीवी और प्रेरणादायक व्यक्तित्व थे, जिन्होंने जमीनी स्तर पर भारत के लोगों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किए। उन्होंने कहा कि पण्डित दीनदयाल के अभिन्न मानवता के सिद्धांत और भारतीय अर्थ व्यवस्था की आत्मनिर्भरता पर विशेष बल ने देश को समावेशी विकास प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में कार्य किया है।