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मांगों के लिए 8 जनवरी को सड़कों पर उतरेंगे कर्मचारी और मजदूर

पी. चंद, शिमला |

सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने घोषणा की है कि 8 जनवरी 2020 को हिमाचल प्रदेश में ऐतिहासिक हड़ताल होगी। इस दिन प्रदेश भर के लाखों औद्योगिक मजदूर,आंगनबाड़ी, मिड-डे मील, जलविद्युत परियोजनाओं, मनरेगा, निर्माण, अस्पतालों, सड़क परिवहन, एसटीपी, कॉन्ट्रैक्ट, पार्ट टाइम, कैज़ुअल और अन्य क्षेत्रों के मजदूर हड़ताल पर रहेंगे। सभी जिला और ब्लॉक मुख्यालयों पर जबरदस्त रैलियां की जाएंगी।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष और महासचिव ने कहा है कि प्रदेश में मजदूरों के साथ ही राज्य बिजली बोर्ड, बीएसएनएल, एलआईसी, बैंक, एजी ऑफिस, पोस्टल,नाबार्ड और केंद्रीय संस्थानों के कर्मचारी हड़ताल करके सड़कों पर उतरेंगे। विशाल रैलियों और जनसभाओं का आयोजन किया जाएगा। इस दिन प्रदेश के लाखों मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ सड़कों पर हल्ला बोलेंगे।

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पूंजीपतियों के इशारे पर काम कर रही है। केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण पिछले 5 सालोंमें देश में साढ़े 4 करोड़ मजदूरों की नौकरियां चली गयी हैं। देश की चार सर्वोच्च संस्थाओं सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी, नेशनल सैम्पल सर्वे आर्गेनाइजेशन, लेबर ब्यूरो और अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय ने रोजगार के मसले पर सरकार की पोल खोलकर रख दी है। पिछले 45 सालों की तुलना में इस समय सबसे ज़्यादा बेरोजगारी है। देश में भारी आर्थिक मंदी से दस लाख लोगों की नौकरियां चली गयी हैं।

मजदूरों के वास्तविक वेतन में बढ़ोतरी के बजाए कटौती हो रही है। मजदूरों को सातवें वेतन, जस्टिस माथुर और पन्द्रहवें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार 21 हजार रुपये न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है। 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी, मिड-डे मील और आशा जैसे पैंसठ लाख स्कीम वर्करों को मजदूर का दर्जा नहीं दिया जा रहा है। केंद्र सरकार 44 श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी और पूंजीपतिपरस्त  केवल 4 श्रम संहिताओं में बदलने पर आमदा है।

मनरेगा व निर्माण मजदूरों के लिए बने श्रमिक कल्याण बोर्ड को भंग करने की साज़िश रची जा रही है। नियमित रोजगार की जगह फिक्सड टर्म रोजगार और ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। पूरे सार्वजनिक क्षेत्र को कौड़ियों के भाव बेचने की मुहिम जारी है। केंद्र सरकार की नीतियां पूरी तरह मजदूर,कर्मचारी और गरीब विरोधी हैं। 8 जनवरी को देश के लगभग 25 करोड़ मजदूर सड़कों पर उतरकर नरेंद्र मोदी सरकार को आइना दिखा देंगे।