हिमाचल विधानसभा मॉनसून सत्र के अंतिम दिन प्रश्नकाल में सबसे पहला सवाल आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर पूछा गया। जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने साफ कर दिया कि अभी तक आउटसोर्स कर्मियों पर कोई नीति नहीं बनेगी। आउटसोर्स में आरक्षण का प्रावधान नहीं है न ही कोई गुंजाइश है। लेकिन, यदि उनका ठेकेदारों द्वारा शोषण हो रहा है तो उसका पूरा ख़्याल रखा जाएगा।
सरकार ने उन ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई करेगी जिन्होंने कर्मियों के साथ शोषण को अंजाम दिया। जय राम ठाकुर ने बताया कि 15 फरवरी 18 तक ठेकेदार के माध्यम से आउटसोर्स के आधार पर लगभग 8731 कर्मी कार्यरत थे। जिनमें से सरकारी विभागों में 5048 कर्मी नियुक्त किए है जबकि बोर्डों में 2893 व निगमों में 790 कर्मी आउटसोर्स आधार पर नियुक्त किए गए है।
गत तीन वर्षों में आउटसोर्स कर्मियों के लिए दो सौ पच्चीस करोड़ अठासी लाख 26,495 रुपये धनराशि ठेकेदार को दी गई। मुख्यमंत्री ने ये भी जानकारी दी कि सरकार ने ठेकेदार के साथ कुछ मानक तय किए है उसी के तहत ये कर्मी रखे गए है।
बताते चले कि ठियोग से विधायक कॉमरेड राकेश सिंह, शिलाई के कांग्रेसी विधायक हर्षवर्धन चौहान और नाचन के भाजपा विधायक विनोद कुमार ने संयुक्त सवाल में पूछा कि सचिवालय सहित विभिन्न विभागों में 15 फरवरी 2018 तक कितने कर्मचारी आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त किए गए।
इन कर्मियों के वेतन निर्धारण का फार्मूला क्या है। साथ ही सरकार क्या इन कर्मियों के लिए ठोस नीति बनाएगी। इन सदस्यों ने सवाल उठाए की आउटसोर्स कर्मियों का शोषण हो रहा है समय पर ठेकेदार समय पर वेतन नही दिया जा रहा है और वेतन भी तय मानकों से कम दिया जा रहा है। भविष्य में आउटसोर्स में क्या आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा।