बिलासपुर में चली बीजेपी के बैठकों के दौर में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने प्रदेश बीजेपी सरकार और कार्यकर्ताओं को स्पष्ट रूप से एक संदेश देने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि जुगनू इकट्ठे होकर सूरज की रोशनी को खत्म करने लगे हैं, लेकिन सच्चाई सभी को पता है। जुगनू खत्म हो जाएगा लेकिन सूरज की रोशनी का वह कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। धूमल के इस बयान के कई राजनीतिक मायने निकलते हैं। जिममें एक इशारा उनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महा गठबंधन की तरफ हो सकता है तो दूसरा इशारा उनका प्रदेश बीजेपी में चल रही लगातार खींचातानी का हो सकता है।
गौरतलब है कि प्रदेश में इन दिनों बीजेपी में चुनावी राजनीति को अमलीजामा पहनाया जा रहा है और इसी कड़ी में बिलासपुर में महत्वपूर्ण बैठकों का दौर संपन्न हुआ। इसके बीच में सांसद शांता कुमार को लेकर कांगड़ा में लगातार बन रहा असंतोष का माहौल चर्चा का विषय रहा। साथ ही शांता कुमार के विकल्प को लेकर भी कांगड़ा की चर्चाएं गर्मआती रहीं। बागी प्रवीण शर्मा की टिकट की दावेदारी और पालमपुर मंडल की त्यागपत्र की धमकियां कहीं न कहीं शांता कुमार की राजनीति पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती नजर आई। क्योंकि कांगड़ा लोकसभा में इस तरह के हालात पहली बार बन रहे हैं।
वहीं, धूमल का बयान कि अब मैं और शांता कुमार पार्टी के लिए मार्गदर्शन का काम करेंगे इसको लेकर भी बैठक में खासी चर्चा हुई। इतना ही नहीं चुनावों से ठीक पहले प्रदेश प्रवक्ता रणधीर शर्मा को भी सरकार में अध्यक्ष पद की तैनाती को लेकर भी चर्चा रही और माना जा रहा है कि जल्दी ही उनकी तैनाती हो सकती है । वहीं बीजेपी के एक बड़े नेता ने सड़कों की हालत पर भी चिंता व्यक्त की और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तक को ये सलाह दे डाली कि सीएम थोड़ा सड़कों का सफर भी कर लें ताकि इस बहाने थोड़ा सड़कों की हालत में सुधार हो जाए ।
इस तरह से बीजेपी की यह बैठक लोकसभा चुनावों की हर तरह से तैयारियों के साथ संपन्न हुई। लेकिन प्रेम कुमार धूमल के तेवर इस बैठक के दौरान सबसे अधिक चर्चित भी रहे। वहीं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपने सभी विधायकों और मंत्रियों को कड़े आदेश दिए की आने वाले लोकसभा चुनावों में बिना आपसे भेदभाव और लड़ाई और खींचातानी के एकजुट होकर सभी मौजूदा सांसदों की जीत को सुनिश्चित किया जाए।
बता दें कि इससे पहले भी शिमला के पीटर होप में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने कड़े तेवर विधायकों और मंत्रियों को दिखाए थे। उन्होंने ठेकेदारों अफसरों से अपने संपर्कों को कम कर कार्यकर्ताओं की तरफ ध्यान देने का आदेश भी दिया था। ये सारी बातें शिमला में इसलिए निकल कर आई थी क्योंकि पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा इन विषयों को लेकर कुछ विधायकों और मंत्रियों पर आपत्तियां उठाई गई थी। विशेष रूप से पन्ना प्रमुख द्वारा कहा गया था कि उनके कामों को प्रमुखता नहीं दी जाती है और उसी के बाद मुख्यमंत्री ने यह कदम देश से अपने विधायकों और मंत्रिमंडल में दिया था।