हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष और विधायक ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश में खिलाड़ियों की दुर्दशा पर बात करते हुए कहा कि अगर सरकार की नियत साफ होती तो सरकार ने खेल विधेयक को अभी तक लागू कर दिया होता। लेकिन प्रदेश में हालात ऐसे हैं कि अधिकतर खेलो के संगठनों पर राजनेताओं का जैसे पुश्तैनी हक होता है उस तरह से काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में अधिक्तर खेल संघ आज हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर के कब्जे में है। सरकार को खेल विधेयक को तरीके के साथ प्रदेश में लागू करना चाहिए और इसे किस तरह से इस तरह के नेताओं के चंगुल से छुड़ाना है उसके बारे में सोचना चाहिए।
सुक्खू ने कहा कि इससे प्रदेश के खिलाड़ियों पर मानसिक दबाव रहता है। खिलाड़ी अपना काम पूरी तरह से इसलिए नहीं कर पाते हैं क्योंकि संघ के अध्यक्ष नेता होते हैं और नेता हमेशा अपने चहेतों की ही आगे अर्जी देते हैं। उन्होंने कहा कि जो भी हमाचल प्रदेश का खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी खेल में प्रतिनिधि करें उसे सरकार को ₹50000000 देने का प्रावधान करना चाहिए। और जो खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करें उसे ₹5000000 कम से कम देने का प्रावधान करना चाहिए । इतना ही नहीं जो खिलाड़ियों की डाइट है उसे भी सरकार को बढ़ाना चाहिए सिर्फ 60 रुपये में एक खिलाड़ी का खाना कभी भी पूरा नहीं हो सकता। आज बाजार में 60 रुपेय का ब्रेकफास्ट भी आसानी से नहीं मिलता है। ऐसे में खिलाड़ी जिन्हें प्रोटीन खाने में चाहिए किस तरह से अपनी डाइट को पूरा करेंगे। यह एक एक बड़ा सवाल है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में वन विभाग की टीम प्रदेश की तरफ से भुवनेश्वर गई है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि जिन खिलाड़ियों ने मेडल जीते हैं उन खिलाड़ियों को तो सरकार आगे अपने साथ लेकर नहीं गई। बल्कि जो खिलाड़ी उनके आगे पीछे घूमते हैं या यह कहें कि अफसरों की चापलूसी करते हैं वह खिलाड़ी जरूर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते देख गए हैं। सरकार को खेल के नियमों में ट्रांसपेरेंसी बनानी चाहिए, चाहे वह वन विभाग की टीम हो या किसी अन्य विभाग की टीम हो। नियम सभी के लिए बराबर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सरकार के मंत्री ने ही खुद कहा था कि जितने भी खिलाड़ियों ने मेडल जीते हैं उन सबको भेजा जाएगा तो हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि अब उस टीम में 2 खिलाड़ी क्यों नहीं है जिन्होंने मेडल जीते हैं।