हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर लिए हैं। सभी जगहों पर नई सरकार की कार्यशैली का विश्लेषण किया जा रहा है। हमीरपुर जिला के लोग भी नए मुख्यमंत्री की कार्यशैली का विशेष आंकलन कर रहा है। चौक-चौराहों, कॉलेजों या फिर चाय की दुकानों सभी जगहों पर लोग अपना-अपना ओपिनियन रखते हुए मिल जाएंगे। लेकिन, यहां लोगों की बातचीत में एक चीज कॉमन मिलेगी और वो यह कि हमीरपुर के साथ 'सौतेला व्यवहार' किया जा रहा है।
समाचार फर्स्ट ने हमीरपुर शहर में अलग-अलग जगहों पर स्थिति को टटोलने की कोशिश की। इस दौरान स्टूडेंट, व्यापारी, गांव के किसान और दूसरे लोगों से बातचीत की।
राजेश और विक्रम हमीरपुर गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज में पढ़ाई करते हैं। इनका कहना है कि राज्य के बाकी हिस्सों में जयराम सरकार कैसा काम कर रही है, यह हम नहीं बता सकते। लेकिन, हमीरपुर में अभी तक कोई ऐसी शुरुआत नहीं हुई जिसके आधार पर हम लोग संतुष्ट हों। राजेश कहते हैं कि यहां सारे काम रुके हुए हैं। बस स्टैंड, टेक्निकल यूनिवर्सिटी का काम रुका हुआ है। मेडिकल कॉलेज और रेल परियोजना तो सिर्फ कागजों में सिमटी हुई है। इसके अलावा गांव के लिंक रोड की हालत तो बेहद खराब है।
विक्रम थोड़ा मजाकिया लहजे में कहते हैं कि, 'हमीरपुर की हालत प्रेम कुमार धूमल के चलते हैं। धूमल के होने से जयराम की सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है।'
गायब है हमीरपुर की सुपरियॉरिटी वाली फीलिंग्स
परमवीर सिंह और राकेश ठाकुर जैसे बिजनसमैन का कहना है कि सरकार में पहले की तरह हमीरपुर की धौंस नहीं रही। उल्टा इसके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। हालांकि, ये लोग धूमल सपॉर्टर ज्यादा नज़र आए। इनका कहना था कि धूमल अगर मुख्यमंत्री होते तो शायद हमीरपुर का रुतबा आज कुछ और होता। लेकिन, धूमल के नहीं बनने से इस जिले को खारिज कर दिया गया है।
इनका आरोप है कि जयराम सरकार बहुत ही धीमी गति से काम कर रही है। 100 दिन पूरे होने के बाद आज तक मंडी समिति का अध्यक्ष नहीं बनााया जा सका है। हिमाचल प्रदेश एक्स सर्विसमैन कॉरपोरेशन के अध्यक्ष पद भी खाली चल रहा है। बस स्टैड का तो काम आगे ही नहीं बढ़ रहा।
हमीरपुर में बीजेपी के ख़ास कार्यकर्ताओं से बातचीत में लगा कि हमीरपुर के लोग उन दिनों को मिस कर रहे हैं, जब सत्ता में इस जिले की धौंस रहती थी। हालांकि, 5 साल कांग्रेस के शासनकाल में भी जिले को कुछ ख़ास हाथ नहीं लगा। लेकिन, बीजेपी के कार्यकर्ता अपने ही शासनकाल में खुद को हाशिए पर पा रहे हैं। इनका कहना है कि बोर्ड और निगमों में भी जिले को कुछ ख़ास प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है। हमीरपुर की सुपरियॉरिटी की फिलिंग्स कार्यकर्ता मिस करता हुआ दिखाई दिया।
ठंडे बस्ते में हैं ढेर सारी योजनाएं
हमीरपुर में पार्किंग का मसला, नादौन में स्पाइस पार्क, सुजानपुर में सीवरेज का काम आदि कई ऐसे मुद्दे लोगों ने गिनाए। इनका कहना है कि कुछ योजनाएं या तो रेंग-रेंगकर चल रही हैं या फिर फाइलों में धूल फांक रही हैं। पेयजल योजनाओं को अपग्रेड करने का मामला भी तूल पकड़े हुए है। आलम ये है कि आए दिन भोरंज की विधायक कमलेश कुमारी और IPH मंत्री महेंद्र सिंह के बीच की तनातनी सुर्खियां बनती रहती हैं।
हार ने बदल दिए सारे समीकरण
हमीरपुर की जनता काफी मायने में जयराम सरकार के खिलाफ नकरात्मक विचार रखते हुए पाई गई। यहां तक खुद बीजेपी के कार्यकर्ता नए सीएम की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं दिखाई दिए। इनमें से अधिकांश का कहना था कि प्रेम कुमार धूमल के हार ने सब कुछ बदलकर रख दिया। सरकार के 100 दिन हो चुके हैं, लेकिन हमीरपुर जिला में कोई भी परियोजना अच्छी शुरुआत नहीं ले पाई है। कमाल की बात तो यह है कि जो योजनाएं धूमल के द्वारा अमल में लाई गईं थीं, वे सारी जस की तस हैं।