हिमाचल के स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने डॉक्टरों की प्रतिनियुक्तियों कों रद्द करने का निर्णय लिया है। मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने ऐलान किया कि प्रदेश के सभी डॉक्टरों की प्रतिनियुक्तियां रद्द की जाएंगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि अगर कोई सरकारी डॉक्टर निजी क्लीनिकों में काम करते पकड़ा गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कारवाई अमल में लाई जाएगी। सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा के द्वारा पूछे सवाल के जवाब में परमार ने कहा है कि प्रदेश में डॉक्टर और पेरामेडिकल स्टाफ के 3282 पद रिक्त हैं और निरंतर प्रक्रिया के तहत सरकार इन पदों को भरने के लिए प्रयासरत है।
परमार ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य संस्थानों में रिक्त पदों को भरने के लिए सार्थक कदम उठाए जा रहे हैं और दो महीनों में ही सरकार ने 262 से अधिक डॉक्टर वॉक इन इंटरव्यू से विभिन्न अस्पतालों में नियुक्त किए हैं और जल्द ही 52 दंत चिकित्सक भी तैनात कर दिए जाएंगे।
स्वास्थ्य संस्थानों में स्टाफ की कमी के लिए पूर्व सरकार जिम्मेदार: परमार
स्वास्थ्य मंत्री ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि स्वास्थ्य संस्थानों में स्टाफ की कमी के लिए पूर्व सरकार ही जिम्मेदार है, क्योंकि तत्कालीन सरकार ने बिना स्वास्थ्य मानकों के जगह-जगह धड़ल्ले से स्वास्थ्य संस्थान खोल दिए और कई स्तरोन्नत किए, जबकि इनके लिए वितीय विभाग से मंजूरी भी नहीं ली गई थी। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी स्वास्थ्य संस्थानों की सरकार समीक्षा कर रही है।
इस बीच मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा कि स्वास्थ्य संस्थानों में रिक्तियों को लेकर सरकार गंभीर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र में किस स्वास्थ्य संस्थान में डॉक्टर तैनात करने हैं, इसके लिए वे अपनी प्राथमिकता उन्हें दें, जिससे उनका प्रयास होगा कि विधायकों की प्राथमिकता के अनुसार अधिक भीड़- भाड़ वाले क्षेत्रों में अधिकांश समय विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात रहें।