तीन दशक बाद नगर निगम शिमला में पहली बार बीजेपी सत्ता में काबिज़ हुई है। लेकिन, जिस तरह से नगर निगम बीजेपी पार्षदों के अंदर खाते विद्रोह के स्वर तेज हो रहे हैं उसकी राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा है। बीजेपी के कुछ पार्षद तो सरेआम अपनी मेयर कुसुम सदरेट की खिलाफ़त पर उतर आए हैं ओर उनको हटाने की लॉबिंग करने में लगे हैं। सुना है कि इसको लेकर बीजेपी पार्षद शिक्षा मंत्री और शिमला के विधायक सुरेश भारद्वाज से भी मिल चुके हैं।
इसी बीच खबर तो ये भी है कि बीजेपी के कुछ पार्षद मेयर को हटाकर खुद मेयर की सीट तक पहुंचने के जुगाड़ में गोटियां फिट करने में लग गए है। बीजेपी के 2- 3 पार्षद तो सरेआम मेयर को हटाने की मांग कर चुके हैं। यहां तक कि पानी की किल्लत के समय भी अपनी ही निगम के खिलाफ मोर्चा भी खोल चुके हैं। लेकिन ताज़ा पनपे हालात बीजेपी के लिए खतरे का संकेत है।
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नगर निगम शिमला में कुल 34 वार्ड हैं इनमें से 19 बीजेपी के साथ, 14 कांग्रेस जबकि, एक पार्षद एक सीपीआईएम का है। ऐसे में बीजेपी की बगावत की राह पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। क्योंकि बीजेपी के डिप्टी मेयर राकेश शर्मा भी निर्दलीय चुनाव लड़े थे और डिप्टी मेयर बनने की शर्त पर ही बीजेपी में वापिस लौटे थे। जबकि, एक पार्षद संजय परमार कांग्रेस से बगावत करके आए हैं। ऐसे में बीजेपी के पार्षदों की मेयर के ख़िलाफ़ बग़ावत की खबरें पार्टी के ऊपर भारी पड़ सकती है।