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क्या हिमाचल सरकार पर बढ़ा संगठनों का दबाव? अभी बाकी हैं और फैसले!

डेस्क |

अगर देखा जाए तो चुनावी मौसम अक्सर जनता को फायदा देकर ही जाता है. ये इसलिए क्यों कि जिस तरह हिमाचल में उपचुनाव के बाद अब सरकार धड़ाधड़ जनता की मांगों को मान रही है. उससे लगता है कि सरकार एक बार फिर दबाव में है. जाहिर है कि सरकार को अब 2022 चुनाव की चिंता है. क्यों कि उपचुनाव में भाजपा को चारों सीटों पर तगड़ा झटका लगा है.

सामान्य वर्ग आयोग गठन का ऐलान
भारी विरोध प्रदर्शन के बाद आखिरकार सरकार झुक ही गई. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मध्यप्रदेश की तर्ज पर राज्य में भी ‘सामान्य वर्ग’ के लिए आयोग की घोषणा कर दी. सीएम ठाकुर के घोषणा किए जाने के कुछ मिनटों के बाद ही फैसले को औपचारिक रूप से अधिसूचित कर दिया गया. एक पन्ने की अधिसूचना में कहा गया है कि, ‘हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल को ‘सामान्य वर्ग आयोग’ का गठन कर प्रसन्नता हो रही है. इस आयोग के संविधान और कार्यक्षेत्र की घोषणा बाद में अलग से की जाएगी.’

JCC बैठक में बड़ा फैसला
जेसीसी बैठक में सरकार ने अनुबंध कार्यकाल को 3 साल से घटाकर 2 साल करने का फैसला लिया. साथ ही पंजाब की तर्ज पर कर्मचारियों के लिए बहुप्रतीक्षित नए वेतनमान की घोषणा की गई. इसका लाभ राज्य के ढाई लाख कर्मचारियों और करीब डेढ़ लाख पेंशनरों को मिलेगा.

पुरानी पेंशन बहाली की मांग
नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ पुरानी पेंशन बहाली की आवाज बुलंद कर रहा है. इनका कहना है कि पुरानी पेंशन बहाली की ओर कोई सकारात्मक कदम सरकार की ओर से नहीं उठाया गया. उससे हिमाचल के 120000 कर्मचारी नाराज हैं. ‘पेंशन कर्मचारी का एक बुनियादी हक है जिसे 2003 से कर्मचारियों से छीन लिया गया’.

पुलिस कर्मियों का वेतन
पुलिस जवान 8 साल के बजाय दो साल बाद संशोधित वेतनमान देने की मांग कर रहे हैं. वर्ष 2013 में सरकार ने नियम बदले, इसके बाद पद तो नियमित रहा लेकिन वेतन अनुबंध के बराबर ही मिलता है. वर्ष 2016 में पूर्व कांग्रेस सरकार ने 2013 में भर्ती हुए पुलिस कर्मी को पूरा लाभ दिया, लेकिन 2015 और 16 के बैच के जवानों को इससे वंचित रखा गया. इसके बाद भर्ती हुए जवानों पर भी यही आठ साल की शर्त लगा दी गई है.

पंचायत चौकीदारों की पॉलिसी
पंचायत चौकीदार संघ का कहना है कि जबसे पंचायतों का गठन हुआ है तबसे चौकीदार निरंतर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. लिहाजा अब उनकी सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द उनके लिए सरकार पॉलिसी बनाए जिससे उनको बाकी सुविधाओं का लाभ भी मिल सके. इनका मानना है कि पॉलिसी बनने से इनके मानदेय में भी बढ़ोतरी होगी.

करूणामूलक संघ की नौकरी
करूणामूलक संघ समस्त विभागों, बोर्डों और निगमों में लंबित पड़े करुणामूलक आधार पर दी जाने वाली नौकरियों के केस जो कि 7 मार्च, 2019 की पॉलिसी में आ रहे हैं उनको वन टाइम सेटलमेंट के तहत सभी को एक साथ नियुक्तियां देने की मांग कर रहा है. इसके अलावा करुणामूलक आधार पर नौकरियों वाली पॉलिसी में संशोधन करने और उसमें रुपये 62500 एक सदस्य सालाना आय सीमा शर्त को पूर्ण रूप से हटाने व विभाग द्वारा अपने तौर पर नियुक्तियां देने के लिए 5% कोटा की शर्त को पूर्ण रूप से हटा देने, योग्यता के अनुसार आश्रितों को बिना शर्त के सभी श्रेणीयो में नौकरी देने, जिन लोगों के कोर्ट केस बहाल हो गए हैं उन्हें भी नियुक्तियां देने और जब किसी महिला आवेदक की शादी होती है और उसे पॉलिसी से बाहर किए जाने की शर्त को हटाने की मांग कर रहे हैं.

मिड-डे मील कर्मचारियों का वेतन
मिड-डे मील कर्मियों का कहना है कि उन्हें पिछले चार माह से मानदेय नहीं मिला है और उन्हें अभी मात्र 2600 रुपए मानदेय बीते 10 सालों से मिल रहा है और वह भी समय पर नहीं दिया जा रहा है. महंगाई के इस दौर में इस मानदेय से गुजर बसर करना मुश्किलों भरा हो गया है, इसलिए उनकी दिहाड़ी 300 रुपये और माह का मानदेय 9 हजार रुपये दें, अन्यथा आंदोलन उग्र होगा. इनका कहना है कि सरकार 84 के बजाय 300 रुपये दिहाड़ी दे और माह का मानदेय 9000 रुपये प्रतिमाह हो, अन्यथा आंदोलन को और तेज किया जाएगा और इसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा.