मंडी जिला की चार नगर परिषदों औऱ दो नगर पंचायतों में से भाजपा व कांग्रेस ने आधी आधी बांट ली हैं। यह फिर कहा जाए कि कांग्रेस ने भाजपा के सत्ता में होते हुए भी 3 पर अपना कब्जा जमाने में सफलता हासिल की है। जमीनी तौर पर देखा जाए तो केवल सुंदरनगर नगर परिषद जो सबसे बड़ी हैं जिसमें ही भाजपा का एक तरफा जीत हासिल हुई है। यहां पर 13 में से 10 भाजपा के खाते में और 3 कांग्रेस को मिली। यहां पर आसानी से भाजपा ने अपनी सत्ता कायम करते हुए अध्यक्ष उपाध्यक्ष का पद हासिल कर लिया।
दूसरी नगर परिषद नेरचौक के 9 में से 8 वार्डों में ही चुनाव हुए क्योंकि यहां के एक वार्ड डडौर में लोगों औऱ उम्मीदवारों ने चुनावों का बहिष्कार किया। उम्मीदवारों ने भी अपने नाम वापस ले लिए। ऐसे में 8 में ही चुनाव हुए। यहां पर कांग्रेस का पलड़ा भारी था मगर भाजपा ने जोड़ तोड़ करके अपने समर्थन में चार पार्षद जुटा लिए। बुधवार को जब अध्यक्ष उपाध्यक्ष पद का चुनाव हुआ तो दोनों ही पदों के लिए मुकाबला चार-चार वोटों से टाई हो गया। इस पर पर्ची का सहारा लिया गया और बाजी भाजपा के हाथ लगी।
जोगिंदरनगर नगर परिषद में भाजपा को झटका लगा। यहां पर कांग्रेस ने अपना अध्यक्ष उपाध्यक्ष बना दिया जिसे आजाद विधायक प्रकाश राणा जो अपने को भाजपा का समर्थक बताते हैं और विधानसभा में भी सरकार के संबंध विधायक बने हुए हैं का समर्थन माना जा रहा है। इसे लेकर भी खूब चर्चा बनी हुई है। उनपर आरोप लग रहा है कि एक तरफ तो वह अपने को भाजपा का समर्थक बताते हैं तो दूसरी तरफ जोगिंदरनगर में वह भाजपा के खिलाफ काम करते हुए एक तरह से कांग्रेस की मदद कर रहे हैं।
सरकाघाट में विधायक इंद्र सिंह ठाकुर के प्रयासों से भाजपा अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाने में कामयाब हो गई। रिवालसर में कांग्रेस ने बाजी मार ली जबकि करसोग में भाजपा का बहुमत होते हुए भी उसकी अध्यक्ष पद की उम्मीवार पार्षद ने पाला बदल कर कांग्रेस से हाथ मिला कर भाजपा के इरादों पर पानी फेर दिया। ऐसे में सुंदरनगर, सरकाघाट और नेरचौक में भाजपा व रिवालसर, जोगिंदरनगर और करसोग में कांग्रेस ने सत्ता हथिया ली। एक तरह से मुख्यमंत्री के गृह जिले में पार्टी का यह प्रदर्शन बेहतर नहीं माना जा रहा है जबकि कांग्रेस ने अपनी हालत में सुधार करके आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कुछ हद तक अपना मनोबल ऊंचा कर लिया है।