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पच्छाद से मुख्यमंत्री तो धर्मशाला से भाजपा संगठन की साख दांव पर

नवनीत बत्ता |

BJP ने उपचुनाव के लिए दोनों क्षेत्रों से अपने उम्मीदवारों की घोषणा बेशक़ कर दी हो, लेकिन बगावत अभी भी चरम पर है। आख़िरी समय में अपने उम्मीदवारों की घोषणा करना और चौंकाने वाले नाम देने से नया विवाद शुरू हो गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि कई बड़े नेता भी इससे ख़फा हैं। बगावत के बीच उपचुनाव में एक ओर जहां मुख्यमंत्री की साख दांव पर है तो वहीं दूसरी ओर संगठन की साख़ पर बट्टा लगा है।

पच्छाद की बात करें तो यहां पहले आशीष सिंगटा का नाम बीजेपी उम्मीदवार के नाम पर आगे चल रहा था। लेकिन मुख्यमंत्री की आगवानी कहें या बड़े नेताओं की चाहवानी… के चलते टिकट उनकी जगह रीना कश्यप को थमा दिया गया। अब सिंगटा ने आजाद चुनाव लड़ने की ठान ली है और इससे बीजेपी को बड़ा नुकसान हो सकता है। वहीं, दयाल प्यारी जो लगभग 30 पंचायतों में अच्छी पकड़ रखती हैं उनका भी आजाद नामांकन भरना मुख्यमंत्री के लिए परेशानी का वज़ह बन सकता है। साफ तौर पर कहें तो यहां मुख्यमंत्री की साख पूरी तरह दांव पर है।

वहीं, दूसरी ओर धर्मशाला की बात करें तो यहां युवा नेता को टिकट थमाया गया है। लेकिन यहां फ़िर एक बार संगठन महामंत्री उमेश दत्त की अनदेखी की गई। पिछली बार 2017 में भी उमेश दत्त का नाम टिकट में सबसे आगे था लेकिन बाद में बीजेपी ने उनका टिकट किसी और नेता को दे दिया। इस बार फ़िर वैसा ही हुआ है औऱ ऐसे में उनके समर्थक भी काफी निराश है।

जिस युवा नेता को टिकट दिया गया है वे भी ज़मीनी स्तर पर ही जुड़ा है और काफी समय से संगठन के साथ जुड़ा है। लेकिन युवा नेता को टिकट देकर संगठन महामंत्री को किनारा दिखाना… संगठन में आपसी मतभेद पैदा करने वाला है। इससे यहां संगठन की साख भी दांव पर होगी।

लिहाजा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती कहते हैं कि सभी को मना लिया जाएगा और भाजपा से कोई भी बागी उम्मीदवार आपको मैदान में खड़ा नहीं मिलेगा। आज भाजपा के उम्मीदवारों का नाम नामांकन होगा तो वहीं से भी भाजपा के भीतर चल रही स्थिति काफी हद तक स्पष्ट हो जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष ने खुद सभी पार्टी के बड़े नेताओं को नामांकन में आने का न्योता दिया है।