प्रदूषण रोकने के लिए सहायक होगी आबादी पर रोक: शांता कुमार

<p>राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या का कोई हल करने के बजाए तमाम नेता प्रतिक्रियाएं देते नहीं थक रहे। इस कड़ी में हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने भी धुंए की समस्या पर चिंता जताई है। शांता ने कहा कि राजधानी दिल्ली में प्रदूषण अत्यन्त खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। गैस चैम्बर बनी दिल्ली में बीमारों की संख्या 20 प्रतिशत बढ़ गईं। विश्व स्वास्थ्य सगंठन की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित 10 नगरों में से 9 नगर केवल भारत में है।</p>

<p>एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष 12 लाख लोग प्रदूषण के कारण मरते है। राजधानी नहीं लगभग आधा देश प्रदूषण से त्रस्त है। विवश होकर दिल्ली में स्वास्थ्य एमरजेंसी की घोषणा की गई। स्कूलों को बन्द कर दिया गया लेकिन क्या लोगों की नाक भी बन्द की जा सकती है। प्रतिपल सांस लेने में वही जहरीली हवा अन्दर जाएगी। एम्ज के अनुसार बच्चों में प्रदूषण के कारण कैंसर की बीमारी हो रही है।</p>

<p>उन्होने कहा कि प्रदूषण के बहुत से कारण है लेकिन सबसे बड़ा और सब कारणों की जड़ बढ़ती आबादी का विस्फोट ही नहीं प्रकोप भी हैं। 34 करोड़ से बढ़ कर हम 140 करोड़ हो रहे हैं। बढ़ती आबादी के दबाव में जंगल कटे, मकान बने, रेत माफिया पैदा हुआ, गाड़ियों की संख्या बढ़ी, अवैध कलोनियां बनी। देश की राजधानी दिल्ली में 1500 अवैध कलोनियों को वोट-बैंक के दबाव में वैद्य कर दिया गया। इस सब के मूल में बढ़ती आबादी का विस्फोट है।</p>

<p>शांता कुमार ने कहा कि भारत विश्व की तीसरी बढ़ती अर्थव्यवस्था और देश की राजधानी गैस चैम्बर ग्लोबल हंगर इन्डेक्स में विश्व के 117 देशों में भारत बहुत नीचे 102 स्थान पर है। विश्व में सबसे अधिक भूखे लोग भारत में हैं। इस सबका सबसे बड़ा कारण बढ़ती आबादी है। उन्होने कहा कि कभी चीन भारत के मुकाबले अधिक पिछड़ा था, गरीबी अधिक थी। उस समय आबादी बहुत अधिक बढ़ रही थी लेकिन चीन ने आबादी रोकी। गरीबी दूर कर ली और विश्व की एक महाशक्ति बन गया।</p>

<p>आज जबकि राजधानी में प्रदूषण ऐक्यूआई 900 से ऊपर है तब चीन की राजधानी में यह केवल 61 है, बर्लिन में 20 है। यह ऐक्यूआई 100 से ऊपर खतरनाक होता है। यदि चीन ने आबादी न रोकी होती तो आज चीन में 40 करोड़ अधिक लोग होते। हमारी तरह गरीबी भी होती और प्रदूषण भी होता। शांता कुमार ने कहा कि क्या हम इतने नालायक है कि चीन की तरह प्रति पल मरती और घुटती अपनी जिन्दगी को बचा नहीं सकते। उन्होंने देश के नेताओं, बुद्धिजीवियों और मीडिया से अपील की है कि वे प्रदूषण के अन्य सब कारणों की जड़ में बढ़ती आबादी के कारण पर भी सोचे, लिखे और आवाज उठाये। सरकार अतिशीघ्र आबादी रोकने के लिये कानून बनाये। बाकी उपाय युद्ध-स्तर पर किये जायें।</p>

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