जयराम ठाकुर के मुख्यमंत्री बनने पर आखिरकार जिला मंडी का 25 साल पुराना अधूरा सपना पूरा हो ही गया। जयराम ठाकुर ने जिला मंडी के इस सपने को पूरा कर दिखाया है, जबकि मंडी की जनता और बाकी नेताओं ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है। जो मंडी से वरिष्ठ नेता पंडित सुखराम नहीं कर पाए वे जयराम ने कर दिखाया।
जी हां, 25 साल पहले 1992 में पंडित सुखराम भी मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जाते थे। लेकिन, कांग्रेस में कद्दावर नेताओं में शुमार वीरभद्र सिंह ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की दौड़ में दिया और उनपर संगीन आरोप लगे। आरोप लगने पर पंडित सुखराम ने वीरभद्र सिंह को जिम्मेदार बताया था और कहा था कि वीरभद्र सिंह उनकी छवि खराब करवा रहे हैं, जिसके चलते उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।
इसके बाद 2012 में कौल सिंह ने यहां से दावेदारी पेश की। लेकिन वीरभद्र सिंह ने सीएम की दौड़ में उन्हें भी मात दे दी। इसके बावजूद भी मंडी को सीएम नहीं मिला और जनता तब से मुख्यमंत्री कैंडिडेट की तलाश कर रही थी। धूमल के हारने के बाद अब जयराम का नाम सीएम की दौड़ में सबसे आगे चलना मंडी के लिए उम्मीद की किरण साबित हो रही थी, जो कि अब पूरी हो चुकी है। इतिहास में पहली बार जिला मंडी से हिमाचल से मुख्यमंत्री को चुना गया है। लिहाजा, बीजेपी के इस बदलाव को मोदी की नई नीतियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री शांता कुमार रह चुके हैं, जो कि कांगड़ा जिले से संबंध रखते हैं। उसके बाद बीजेपी ने धूमल को सीएम के तौर पर हिमाचल में उतारा और वे दो मर्तबा हिमाचल के टच में रहे। 2017 के चुनावों में धूमल की हार के बाद बीजेपी ने ये सरप्राइज प्रदेश की जनता को दिया और अब बीजेपी इस सीएम के बल पर लंबी पारी खेल सकती है। क्योंकि जिला मंडी और कांगड़ा हिमाचल की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं।