हिमाचल प्रदेश के मंडी से बीजेपी कैंडिडेट और सांसद रामस्वरूप के ख़िलाफ उनके घर में विरोधी स्वर उठने शुरू हो गए हैं। रिश्ते में उनके जीजा बृज गोपाल अवस्थी ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। उनके चुनाव लड़ने की वज़ह ये है कि उनके मुताबिक, मौजूदा सांसद रामस्वरूप यानी के उनके साले साहेब ने विकास नहीं किया।
साफ़ तौर पर ये भी कहा जा सकता है उनके रिश्ते में जीजा ने अपने साले साहेब के काम से नाखु़श होकर चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। अवस्थी यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे और अपने साले साहिब को चुनौति देंगे। उनके इस चुनावी ऐलान से जहां बीजेपी की मुश्किलें बढ़ेंगी, वहीं कांग्रेस को इसका बैनेफ़िट भी मिल सकता है।
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वैसे तो कहा जाता है कि जब अपनों के खिलाफ आवाज़ उठना शुरू हो जाए, तो बेशक रिश्तों में तकरार ज़रूर आती है… लेकिन व्यक्ति को सही और ग़लत में भी फ़र्क ज़रूर समझ आने लगता है। जब किसी आम व्यक्ति के घर में उनके खिलाफ कोई अपना खड़ा होता है तो उसे अपनी ग़लती का आभास ज़रूर होता है। हालांकि, घर में ये विरोधी स्वर ज़रूरी नहीं की किसी के काम से नाखु़श होकर किये जा रहे हैं। इसमें 'लालसा' भी एक बड़ा मुद्दा है। अब मंडी के इस वाक्या में कौन सा फिट बैठता है ये तो जीजा और साले साहेब ही बता सकते हैं।