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विधानसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश, हिमाचल में आर्थिक मंदी-5.6 पहुंची GDP

पी. चंद |

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सदन में आज आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश की। आर्थिक सर्वेक्षण में देश की मंदी का असर हिमाचल में भी देखने को मिला है। अग्रिम अनुमान के अनुसार 2019-20 के अन्तर्गत वृद्धि(GDP) की दर लगभग 5.6 प्रतिशत रहने की सम्भावना है। जबकि 2018-19 में 1,17,851 करोड़ की तुलना में स्थिर कीमतों पर कुल जी.एस.डी.पी. का अनुमान 1,24, 403 करोड़ है।

मौजूदा कीमतों पर GsDP 2018 – 19 के अन्तर्गत् 53 , 845 करोड के विरुद्ध लगभग 1,65, 472 होने की सम्भावना ह । 2019 – 20 के अन्तर्गत 5.6 प्रतिशत की वृद्धि मुख्य रुप से प्राथमिक क्षेत्र का 93 प्रतिशत तथा सामुदायिक एवं व्यक्तिगत सेवा का क्षेत्र 7.7 प्रतिशत है। द्वितीय क्षेत्र में 3.9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। बागवानी उत्पादन में 42.82 प्रतिशत की वृद्धि के कारण समग्र प्राथमिक क्षेत्र में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जो अंततः 56 प्रतिशत की समग्र वृद्धि दर्शाती है।

साल 2019-20 के लिए वास्तविक रूप से (प्रति वर्ष 2011-12 कीमतों पर) प्रति व्यक्ति आय 1,46,268 के स्तर को प्राप्त करने की सम्भावना है। जबकि वर्ष 2018-19 में 1 , 39 . 469 के स्तर से 49 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्तमान कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय जो 2018-19 के लिए पहले संशोधित अनुमानों के अनुसार 1,83,108 थी। 2019-20 के अन्तर्गत 1,95,255 तक बढ़ने की सम्भावना है जिससे लगभग 6.6 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

जयराम ठाकुर ने कहा कि 2019-20 में सरकार ने राज्य के लोगों के बेहतर जीवन के लिए स्थायी प्रयास किए हैं। राज्य के सरल और मेहनती लोगों के स्थायी प्रयासों और केन्द्र एवं राज्य सरकार की प्रगतिशील नीतियों के कार्यान्वयन के कारण हिमाचल में एक जीवंत अर्थव्यवस्था है। हिमाचल प्रदेश ने समृद्ध और बढ़ती अर्थव्यवस्था से देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। साथ ही उन्होंने ये भी माना कि हिमाचल में भी देश की आर्थिक मंदी का असर है जिससे कई क्षेत्रों में मंदी देखने को मिली है।

वहीं, आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इसमें हर क्षेत्र में मंदी दिखाई गई है जो प्रदेश सरकार की गलत वित्तिय प्रबंधन का नतीज़ा है। यदि प्रदेश में देश की आर्थिक मंदी का असर है तो फ़िर सरकार को ग्लोबल इंवेस्टरमीट और खिचड़ी पर करोड़ों ख़र्च करने की क्या जरुरत है। सरकार2  साल के कार्यकाल में आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह से विफ़ल रही है। हिमाचल की वृद्धि दर 7.1 से गिरकर 5.6 पर पहुंच गई। इसी सर्वेक्षण ने ही सरकार का रिपोर्ट कार्ड सामने रख दिया है फ़िर सरकार किस बात पर इतरा रही है। प्रतिव्यक्ति आय भी कम हुई है और हर क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई है।