केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, राष्ट्रीय फेडरेशनों, केंद्र और राज्य सरकार कर्मचारियों की यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर 8 जनवरी 2020 को होने वाली राष्ट्रीय हड़ताल की तैयारियों के सिलसिले में कालीबाड़ी हॉल शिमला में अधिवेशन का आयोजन किया गया। अधिवेशन में केंद्र सरकार की मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार हमला बोला गया। सभी ट्रेड यूनियन नेताओं ने केंद्र सरकार को चेताया कि अगर उसने मजदूर और कर्मचारी विरोधी नीतियों को वापस न लिया तो आंदोलन तेज होगा।
सभी ने एक स्वर में ऐलान किया कि 8 जनवरी 2020 को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल ऐतिहासिक होगी और हिमाचल प्रदेश में हर क्षेत्र में काम को पूर्णतः बन्द कर दिया जाएगा। इस दिन बैंक, बीमा,पोस्टल, बीएसएनएल, सभी केंद्रीय और राज्य सार्वजनिक उपक्रमों,उद्योगों,बिजली परियोजनाओं,आंगनबाड़ी, मिड डे मील, परिवहन क्षेत्र आदि सभी क्षेत्रों में काम पूरी तरह ठप्प कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार की ग़लत नीतियों के कारण देश में मंदी छाई हुई है जिसके कारण 10 लाख से ज़्यादा मजदूरों की नौकरी पिछले दो महीने में खत्म हो गयी है।
अधिवेशन ने निर्णय लिया कि 8 जनवरी की हड़ताल के सिलसिले में 30 नवम्बर तक जिला स्तरीय अधिवेशन आयोजित किये जायेंगे। हड़ताल को सफल बनाने के लिए सभी यूनियन हर मजदूर तक पहुंचेंगी। यूनियनों ने केंद्र सरकार की पूंजीपति परस्त और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का ऐलान किया है। वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार मेहनतकश जनता पर लगातार हमला कर रही है। पिछले पांच सालों में सरकार की गलत नीतियों के कारण लगभग साढ़े चार करोड़ लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण लाखों कर्मचारी आज पेंशन से वंचित हैं और नई पेंशन नीति का शिकार हैं। मजदूरों के चौबालिस श्रम कानूनों को खत्म करके उन्हें केवल चार श्रम संहिताओं में बदलने की मुहिम में मोदी सरकार डटी हुई है और पूंजीपतियों को फायदा पहुंचा रही है। सार्वजनिक क्षेत्र का विनिवेश और निजीकरण करके उसे पूरी तरह खत्म किया जा रहा है औऱ इसे पूंजीपतियों के हवाले किया जा रहा है।