शीतकालीन प्रवास को लेकर धर्मशाला पहुंचे मुख्यमंत्री ने बड़ा बयान दिया। जयराम ठाकुर ने कहा कि मैं इस शीतकालीन प्रवास को कोई प्रथा नहीं मानता। मेरा जब मन करेगा मैं कांगड़ा आउंगा। बहरहाल अभी 3 दिन कांगड़ा में ही रुकूंगा।
आपको बता दें कि दिल्ली चुनाव प्रचार में डटी हिमाचल सरकार फजीहतों के बीच हिमाचल तो लौट गई। लेकिन मंत्री औऱ मुख्यमंत्री के रवैये प्रदेश के विकास से ज्यादा अपनी पार्टी के विकास पर निर्भर नज़र आते हैं। ये प्रथा हिमाचल में दशकों से चली आ रही है। धर्मशाला को ख़ासकर दूसरी राजधानी माना जाता है जिसके चलते यहां हर साल प्रवास भी होना होता है। कहा जाता है कि यहां से मुख्यमंत्री प्रवास के दौरान सभी जिलों को कवर करते थे।
लेकिन अब हमारे नए मुख्यमंत्री कुछ अलग हैं तो कामकाज में कुछ अलग कर दिखाएंगे ही। पहले 2 हफ़्ते तक बिना परवाह किये दिल्ली में डारे डाले बैठे थे और अब आते ही शीतकालीन प्रवास की प्रथा से इनकार कर दिया। अग़र इस प्रथा से मुख्यमंत्री वाकेई कोई ताल्लुक नहीं रख़ते तो फ़िर शीतकालीन सत्र को यहां करवाने का ढिंढोरा क्यों पीटा जा रहा है। इसमें तो हर साल करोड़ों को खर्च होने की बात होती रही है।
वीरभद्र सिंह ने शुरू किया था…
जानकारी जुटाएं तो आपको याद होगा ये प्रवास पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शुरू किया था। वाजिब पर जब इसे शुरू किया गया था तो कई तरह दिक्कतें थी जब शीतकालीन सत्र और प्रवास चले। शिमला में बर्फबारी ज्यादा होती थी और इसी कड़ी में यहां कामकाज़ में सरकार को दिक्कत आती थी। ऐसा कहा जाता है कि शीत मौसम के दौरान सरकार धर्मशाला में बैठेगी और अपने सत्र के साथ-साथ प्रवास के दौरान कामकाज भी करेगी। घर-घर जाकर काम करने की प्रथा भी उस समय चलती थी, लेकिन हमारे नौजवान मुख्यमंत्री श़ायद हेलिकॉप्टर को ही जन की बात की समझते हैं।