हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर संसदीय सीट से कांग्रेस ने आख़िरकार अपना कैंडिडेट दे ही दिया। रामलाल ठाकुर के नाम पर हाईकमान ने हमीरपुर से चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है। लेकिन ये बात राजनीति के जानकारों के गले नहीं उतर रही कि इतनी माथापच्ची के बाद जिन लोगों के नाम चर्चा में चल रहे थे, उनमें से एक भी नेता प्रत्याशी नहीं है। रामलाल ठाकुर जो की कभी टिकट की दौड़ में शामिल नहीं हुए और न ही मीडिया में उनके बारे में कोई बात सामने आई। यहां तक कि उन्होंने खुद भी कहा कि वे कभी दौड़ में नहीं थे। उसके बावजूद भी उन्हें टिकट दे दिया गया।
अब, राजनीति के ज्ञानी कांग्रेस प्रत्याशी रामलाल ठाकुर को बलि का बकरा मान रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी राम लाल ठाकुर 3 बार सांसद का चुनाव हार चुके हैं। 1999 में पहली बार उन्होंने कांग्रेस के हमीरपुर प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था, जिसमें 1 लाख 29 हज़ार के क़रीब वोटों से उनकी हार हुई। उसके बाद 2004 में फ़िर उनकी 1615 वोटों से हार हुई। सुरेश चंदेल पर केस बनने के बाद 2007 में धूमल के सामने भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर कांग्रेस ने उनपर सांसद का चुनाव लड़ने पर भरोसा जताया है, जिसे राजनीति के लिख़ाड़ एक तरह से बलि का बकरा समझ रहे हैं।
एक तो वैसे ही हमीरपुर से बीजेपी कैंडिडेट अनुराग ठाकुर काफ़ी स्ट्रॉन्ग हैं, ऊपर से कांग्रेस ने कोई ऐसा चेहरा नहीं दिया जो राजनीति में अनुराग को टक्कर दे सके। हालांकि, रामलाल ठाकुर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन उनकी बॉयोग्राफी चेक की जाए तो वे सांसद अनुराग ठाकुर के आगे एक सही कैंडिडेट नहीं फिट बैठते…।। क्योंकि जब कभी उन्होंने चुनाव लड़े तो हिमाचल में कांग्रेस की सरकारें भी रही हैं।
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अग्निहोत्री मुकरे… सुक्खू, चंदेल, राणा के नाम पर थी चर्चा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमीरपुर हॉट सीट से कांग्रेस में कई नेताओं का नाम सामने आ रहा था। मुकेश अग्निहोत्री के साफ़ मना करने के बाद सुक्खू का नाम लगभग फाइनल माना जा रहा था। इसी बीच बीजेपी नेता सुरेश चंदेल की कांग्रेस में आने की बात भी टिकट को हवा दे रही थी और वीरभद्र के ख़ास राजेंद्र राणा पर ऑपशन बना था। इसके साथ ही हमीरपुर संसदीय से कई नेताओं ने आवेदन भी कर रखा था। लेकिन, शॉक तब लगा जब इन नेताओं में से कोई भी नेता चुनावी मैदान में नहीं उतरा।
सूत्रों की मानें तो इन सभी नेताओं ने चुनाव लड़ने से मना किया है जिसके बाद हाईकमान ने रामलाल ठाकुर को कैंडिडेट के तौर पर उतारा है। अपने-अपने स्तर पर सभी नेताओं ने टिकट न मिलने को लेकर लॉबिंग की है और एक-दूसरे के नाम को आगे रख़ा है। अग़र ये सब सही है तो ये कहना बिलकुल ग़लत नहीं होगा कि कांग्रेस ने जो वादा किया था कि हमीरपुर से बंपर जीत रहेगी… वे ज़रूर कहीं न कहीं फ़ेल हो जाएगा।