प्रदेश सरकार अफसरशाही के आगे पूरी तरह लाचार साबित हो रही है। अफसरों का अंतर्द्वंद्व चरम पर है। सरकार के 3 साल के इस कार्यकाल में अफसरशाही और जनप्रतिनिधियों के बीच आज दिन तक सामंजस्य बिठाने में मुख्यमंत्री पूरी तरह असफल साबित हुए हैं। यही वजह है कि जनहित के काम सरकारी फाइलों में दफन हो कर रह गए हैं। ये बात कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठ़ौर ने कही।
राठ़ौर ने कहा कि प्रदेश में विकास नाम की कोई चीज नहीं है। अफसरशाही के बीच कोई भी तालमेल नहीं है। सबका अपना डफली अपना राग बन कर रह गया है। मुख्यमंत्री का कार्यालय संघ का अड्डा बन कर रह गया है जहां केवल संघ से जुड़े अधिकारियों और नेताओं की ही चलती है। आम लोगों को इसके दरवाजे बंद पड़े है। प्रदेश सरकार की शासन व्यवस्था पूरी तरह चरमरा कर रह गई है। यही वजह है कि आये दिन मुख्यमंत्री को अपने आदेशों और फेसलों को बदलना पड़ता है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि काम करने वाले अधिकारियों को तवज्जो नहीं दी जा रही है। मुख्यमंत्री अपनी नाकामियों का ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ते आ रहे हैं। आज प्रदेश अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है ।प्रदेश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चोपट हो कर रह गई है। सरकार का इस दिशा की ओर कोई भी ध्यान नहीं है। बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई पर सरकार की कोई लगाम नहीं है। प्रदेश के किसानों-बागवानों को अपना स्टैंड क्लीयर करना चाहिए। देश के आंदोलनरत किसानों के साथ प्रदेश का किसान भी खड़ा है क्योंकि यह कानून पूरी तरह से किसान बागवान विरोधी है।