ऊना कांग्रेस सम्मेलन में हुए हंगामे के बाद निष्कासित एनएसयूआई अध्यक्ष करुण शर्मा ने अपना दर्द बयां किया। समाचार फर्स्ट के साथ हुई बातचीत में करुण शर्मा ने बताया कि वे यहां प्रभारी रजनी पाटिल की मंजूरी मिलने के बाद आए थे। उन्होंने शुक्रवार को हमीरपुर सम्मेलन में प्रभारी रजनी पाटिल को फोन किया और उनसे ऊना सम्मेलन में आने की परमिशन मांगी थी। लेकिन, रायजादा के समर्थकों ने उनके आने पर धक्का-मुक्की की और उन्हें बाहर निकाल दिया। अग़र वे सीधे कह देते तो मैं खुद ही बाहर चला जाता, लेकिन बड़े नेताओं के सामने जोश-जोश में उन्होंने ये सब किया है जो सरासर ग़लत है।
करुण शर्मा ने कहा कि यदि मेरे दिल में पार्टी या किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ जरा सा भी गुस्सा होता तो वे सम्मेलन में नहीं जाते। लेकिन इस वाक्या को देखकर लगता है कि विधायक औऱ उनके समर्थकों को दिलों में मेरे लिए शायद कोई मतभेद हैं। हमने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की दावेदारी जरूर की थी, लेकिन किसी टिकट न मिलने के बाद षड्यंत्र रचा गया और मुझे निष्कासित करवाया गया। ब्लॉक अध्यक्ष चाहते थे कि हम पार्टी में हमेशा पोस्टर ही लगात रहें, लेकिन जिला परिषद के चुनावों ने उनकी बोलती बंद कर दी थी।
शिमला में प्रभारी से मिले थे करुण
करुण शर्मा ने बताया कि अपने निष्कासन के बाद वे शिमला में प्रभारी रजनी पाटिल से भी मिले थे। उस समय उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र कार्यकर्ताओं की फ़ौज तैयार की जाएगी और सभी को एक साथ लेकर चला जाएगा। निष्कासन के पीछे क्या वज़ह रही है उस पर पूरी तरह छानवीन होगी।
ग़ौरतलब है कि करुण शर्मा को विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस ने निकाल दिया गया था। उनपर पार्टी विरोधी काम करने के आरोप लगे थे, जिसपर करुण शर्मा ने रोष भी जाहिर किया था। यहां तक करुण शर्मा ने पोस्टर भी छपवाए थे और कहा था कि जो उनके विरुद्ध भीतरघात के सबूत लाकर देगा उसे इनाम मिलेगा। उस समय करुण शर्मा ने अपने निष्कासन को एक षड्यंत्र का नाम दिया था और वे आज भी अपने बयान पर अटल हैं।
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