<p>हिमाचल के 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह बीमारी के बाद फ़िर राजनीतिक मैदान में कूद पड़े है। वीरभद्र सिंह लंबे अरसे के बाद अपने चुनावी क्षेत्र अर्की में पहुंचे। उनकी सक्रियता से ये अटकलें लगाई जा रही रही है कि कांग्रेस उनके बूढ़े कंधों पर फिर से सत्ता का सपना देख रही है। कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए दूसरी पंक्ति के नेताओं को मज़बूत नहीं होने दिया। यही वजह है कि कांग्रेस में एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ दिखाई दे रही है।</p>
<p>इस लड़ाई के बीच कांग्रेस में वीरभद्र सिंह के अलावा कोई बड़ा चेहरा नज़र नहीं आता है। आनंद शर्मा हैं दिल्ली की राजनीति में ज़्यादा दिलचस्पी रखते है। वीरभद्र सिंह 2017 औऱ 2012 के चुनावों में ये कह चुके है कि ये उनका अंतिम चुनाव है। लेकिन उनकी सक्रियता कई अटकलों को हवा दे रही है। वैसे कौल सिंह ठाकुर भी पिछले चुनावों में अपने अंतिम चुनाव की बात कह चुके है। लेकिन राजनीति में जैसे कोई कभी किसी का मित्र या शत्रु नहीं होता, उसी तरह ज़ुबान की भी राजनेताओं के लिए कोई अहमियत नहीं होती है।</p>
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